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जब प्रार्थनाएँ अनसुनी हों तो विश्वास कैसे बनाए रखें?

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जब प्रार्थनाएँ अनसुनी हों तो विश्वास कैसे बनाए रखें?

विश्वास की लौ बुझती नहीं: जब प्रार्थनाएँ अनसुनी लगें
प्रिय आत्मा, मैं समझता हूँ कि जब हम अपनी मन की गहराई से प्रार्थना करते हैं और ऐसा लगता है कि कोई सुन नहीं रहा, तो भीतर एक अजीब सी खालीपन और निराशा छाने लगती है। यह समय सबसे कठिन होता है, जब विश्वास डगमगाने लगता है। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर भक्त ने इस अंधकार को अनुभव किया है। चलो, भगवद गीता के दिव्य प्रकाश से इस भ्रम को दूर करें और अपने विश्वास को पुनः जीवित करें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 9, श्लोक 22
सर्वभूतहिते रताः सदा तु तेषु चोदिताः |
मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा ||

अनुवाद:
जो लोग मेरे प्रति पूर्ण समर्पित हैं और जो सभी प्राणियों के कल्याण में लगे रहते हैं, वे सदा मुझसे प्रेरित होते हैं। वे अपने सारे कर्म मुझमें ही समर्पित करते हैं और अपने मन को आध्यात्मिक चेतना में रखते हैं।
सरल व्याख्या:
भगवान कहते हैं कि जो भक्त न केवल स्वयं के लिए, बल्कि सबके हित के लिए समर्पित हैं, उनके सारे कर्म भगवान को समर्पित होते हैं। ऐसे भक्तों का मन हमेशा आध्यात्मिक जागरूकता से भरा रहता है। इसका अर्थ है कि प्रार्थना केवल सुनवाई का विषय नहीं, बल्कि एक गहरा समर्पण और विश्वास का विषय है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  • समर्पण में शक्ति है: जब प्रार्थनाएँ अनसुनी लगें, तब भी अपने समर्पण को न छोड़ो। भगवान सुनते हैं, वे सही समय पर जवाब देते हैं।
  • अहंकार छोड़ो, विश्वास बढ़ाओ: कभी-कभी हमारी अपेक्षाएँ और अहंकार हमें असफलता का अहसास कराते हैं। विश्वास वह दीपक है जो अंधकार में भी जलता रहता है।
  • धैर्य ही भक्ति की परीक्षा है: भक्ति का अर्थ है धैर्य और स्थिरता। भगवान की माया और समय को समझो।
  • सर्वत्र है ईश्वर: कभी मत भूलो, भगवान हर जगह हैं। प्रार्थना का उत्तर कभी-कभी उस रूप में आता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं करते।
  • कर्म योग अपनाओ: प्रार्थना के साथ अपने कर्मों को भी भगवान को समर्पित करो, यह विश्वास को स्थिर करता है।

🌊 मन की हलचल

तुम सोच रहे हो, "मैंने कितनी बार प्रार्थना की, फिर भी क्यों नहीं मिला? क्या भगवान ने मेरी सुनवाई ही बंद कर दी?" यह सवाल स्वाभाविक है। पर याद रखो, कभी-कभी जब हम सुनाई नहीं देते, तब भगवान हमें कुछ बड़ा सिखा रहे होते हैं — धैर्य, समर्पण, और आत्म-विश्वास। यह समय तुम्हारे विश्वास की परीक्षा है, जो तुम्हें और भी मजबूत बनाएगा।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, जब तुम्हारी प्रार्थना अनसुनी लगे, तब घबराओ मत। मैं तुम्हारे हृदय की गहराई में हूँ। तुम्हारी हर भावना, हर आह्वान मेरे पास पहुँचती है। मैं तुम्हें उस रूप में जवाब देता हूँ जो तुम्हारे लिए सर्वोत्तम है, भले ही वह तुम्हारे समझ से परे हो। विश्वास रखो, मैं कभी तुम्हें अकेला नहीं छोड़ता।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक विद्यार्थी था जो अपनी परीक्षा के लिए भगवान से बार-बार प्रार्थना करता था कि उसे सफलता मिले। परीक्षा के दिन, परिणाम आने तक उसे लगा कि उसकी प्रार्थना अनसुनी रह गई। लेकिन बाद में उसने जाना कि असली सफलता केवल नंबरों में नहीं, बल्कि उसकी मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास में थी। भगवान ने उसे वह ताकत दी, जो परीक्षा के बाहर भी काम आई। इसी तरह, तुम्हारी प्रार्थनाएँ तुम्हें अंदर से मजबूत बनाती हैं, भले ही वह तुरंत परिणाम न दिखे।

✨ आज का एक कदम

आज अपने मन को एक छोटे से कार्य में लगाओ — जैसे किसी जरूरतमंद की मदद करना, या अपने दिनचर्या में एक छोटा ध्यान या प्रार्थना का समय निकालना। इस छोटे कदम से तुम्हारा विश्वास और समर्पण दोनों बढ़ेंगे।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने विश्वास को केवल परिणामों से जोड़ रहा हूँ?
  • क्या मैं अपने समर्पण में धैर्य और स्थिरता बनाए रख पा रहा हूँ?

विश्वास की राह पर एक नया सूरज
प्रिय, याद रखो, विश्वास एक दीपक है जो अंधकार में भी जलता रहता है। तुम्हारी प्रार्थनाएँ अनसुनी नहीं होतीं, वे केवल उस समय के लिए सुरक्षित रखी जाती हैं जब तुम्हें उनकी सबसे अधिक आवश्यकता होगी। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हर कदम पर। चलो, इस विश्वास की यात्रा को फिर से शुरू करें, एक नई ऊर्जा के साथ।
शुभकामनाएँ और आशीर्वाद! 🙏✨

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