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किसी व्यक्ति या चीज़ को खोने का डर कैसे दूर करें?

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किसी व्यक्ति या चीज़ को खोने का डर कैसे दूर करें?

खोने के डर से मुक्त होने का पहला कदम: तुम अकेले नहीं हो
प्रिय मित्र, खोने का डर मनुष्य के सबसे गहरे और स्वाभाविक भावों में से एक है। जब हम किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थिति से जुड़ जाते हैं, तो उनका खो जाना हमारे अस्तित्व को संकट में डाल देता है। यह डर तुम्हारे मन को बेचैन करता है, तुम्हें उलझन में डालता है। पर याद रखो, यह एक सामान्य अनुभव है, और इससे पार पाना संभव है। भगवद गीता की अमृत वाणी में छुपा है वह मार्ग जो तुम्हें इस भय से मुक्त कर सकता है।

🕉️ शाश्वत श्लोक

"मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना।
मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेष्ववस्थितः॥"

(भगवद गीता, अध्याय 9, श्लोक 4)
हिंदी अनुवाद:
मैंने इस सम्पूर्ण जगत को अपने अव्यक्त रूप से व्याप्त कर रखा है। सभी प्राणी मुझमें स्थित हैं, पर मैं उनमें नहीं हूँ।
सरल व्याख्या:
भगवान कृष्ण कहते हैं कि वे इस जगत के हर प्राणी के भीतर हैं, फिर भी वे उनसे अलग हैं। इसका अर्थ है कि जो कुछ भी तुम खोते हो, वह असल में तुम्हारा स्थायी हिस्सा नहीं है। सब कुछ परिवर्तनशील है, केवल परमात्मा शाश्वत है। जब तुम इस सच्चाई को समझोगे, तुम्हारा डर धीरे-धीरे कम होगा।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. संपूर्ण संसार परिवर्तनशील है: वस्तुएं, लोग और परिस्थितियाँ निरंतर बदलती रहती हैं। स्थिरता की आशा हमें दुख देती है।
  2. असली अपनापन आत्मा से है: तुम्हारी आत्मा अमर है, वह न तो जन्मती है न मरती है। जो खोता है, वह केवल बाहरी आवरण है।
  3. वियोग से घबराओ मत, वह अनिवार्य है: जीवन में वियोग का होना स्वाभाविक है; इसे स्वीकार करो, इससे आत्मिक मजबूती आती है।
  4. संपर्क में रहो, पर आसक्ति में नहीं: प्रेम करो, पर निर्भर मत बनो। सच्चा प्रेम त्याग में है, न कि कब्जे में।
  5. भगवान में समर्पण करो: जब तुम अपने मन को ईश्वर के हवाले कर दोगे, तो भय अपने आप छूट जाएगा।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारा मन कहता होगा — "अगर वह चला गया तो मैं क्या करूँगा? मेरा जीवन अधूरा हो जाएगा।" यह डर तुम्हारे भीतर सुरक्षा की तलाश है। तुम्हें लगता है कि खोने पर तुम्हारा अस्तित्व खतरे में है। पर यही डर तुम्हें बंदी बनाता है, तुम्हें जीवन की सुंदरता से दूर करता है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, जो तुमसे जुड़ा है, वह केवल एक रूप है। उससे प्रेम करो, उसका आदर करो, पर उसे अपने अस्तित्व का आधार मत बनाओ। मैं तुम्हारे भीतर हूँ, तुम्हारे साथ हूँ। जब तुम मुझमें विश्वास रखोगे, तब कोई भी वियोग तुम्हें हिला नहीं पाएगा। अपने मन को मुझमें समर्पित कर दो, और देखो कैसे तुम्हारा भय दूर होता है।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक छात्र अपने प्रिय पुस्तक को खो बैठा। वह बहुत दुखी हुआ, क्योंकि वह सोचता था कि बिना उस पुस्तक के वह परीक्षा में सफल नहीं हो पाएगा। तब उसके गुरु ने कहा, "पुस्तक तुम्हारे ज्ञान का स्रोत है, लेकिन ज्ञान तुम्हारे भीतर है। पुस्तक खोने से ज्ञान नहीं खोता।" यह सुनकर छात्र ने अपने भीतर की शक्ति को पहचाना और भय से मुक्त हुआ।

✨ आज का एक कदम

आज एक छोटी सी प्रैक्टिस करो: अपने मन में जो भी डर या चिंता उठे, उसे एक बादल समझो जो आकर छा जाता है और फिर चला जाता है। उसे पकड़ने की कोशिश मत करो, बस उसे जाने दो। इसे रोज़ाना 5 मिनट तक दोहराओ।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं समझ पा रहा हूँ कि जो मैं खोने से डरता हूँ, वह वास्तव में मेरा स्थायी हिस्सा नहीं है?
  • क्या मैं अपने भय को स्वीकार कर उसे जाने देने के लिए तैयार हूँ?

खोने के डर से परे: शांति की ओर एक कदम
प्रिय, तुम्हारा डर तुम्हारा दुश्मन नहीं, बल्कि तुम्हारा शिक्षक है। उसे समझो, उससे सीखो, और उसे जाने दो। जीवन का सुंदर रहस्य यही है कि जो खोता है, वह नया पाता है। अपने मन को खुला रखो, प्रेम करो, पर आसक्ति से मुक्त रहो। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हर कदम पर।
शुभकामनाएँ और प्रेम के साथ।
— तुम्हारा आध्यात्मिक मित्र

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