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जब जीवन प्रश्न करता है, गीता समाधान देती है

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अपना संदेह पूछें… गीता राह दिखाएगी

जब कोई आपके लक्ष्यों का समर्थन नहीं करता है तो आप कैसे ट्रैक पर बने रह सकते हैं?

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जब कोई आपके लक्ष्यों का समर्थन नहीं करता है तो आप कैसे ट्रैक पर बने रह सकते हैं?

जब सब साथ छोड़ दें, तब भी अपने सपनों का साथ कैसे निभाएं?
प्रिय युवा मित्र, यह सच है कि जीवन में कई बार ऐसा आता है जब हमारे लक्ष्य और सपनों को समझने या समर्थन देने वाला कोई नहीं होता। ऐसे समय में अकेलापन महसूस होना स्वाभाविक है। पर याद रखो, यही वह पल है जब तुम्हारे भीतर की शक्ति और भी प्रबल होती है। तुम अकेले नहीं हो, और तुम्हारे भीतर वह प्रकाश है जो तुम्हें सही राह दिखाएगा।

🕉️ शाश्वत श्लोक

धृतराष्ट्र उवाच:
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय॥1-1॥
अर्जुन उवाच:
क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते।
क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परंतप॥2-3॥
अनुवाद:
हे पार्थ! तू कभी भी कमजोर मत बनना, क्योंकि यह तुम्हारे लिए उचित नहीं है। हृदय की छोटी-छोटी दुर्बलताओं को त्यागकर उठ खड़ा हो।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. आत्म-विश्वास को जगाओ: दूसरों की सहमति से ज्यादा महत्वपूर्ण है अपनी आत्मा की आवाज़ सुनना।
  2. कर्तव्य पर अडिग रहो: अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहो, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।
  3. भीतरे से साहस प्राप्त करो: भय और संदेह को त्यागो, क्योंकि वे मन के दुश्मन हैं।
  4. संकट में धैर्य रखो: कठिनाइयाँ अस्थायी हैं, वे तुम्हें मजबूत बनाने का माध्यम हैं।
  5. सतत प्रयास करो: निरंतर प्रयास से ही सफलता का द्वार खुलता है।

🌊 मन की हलचल

"क्या मैं अकेला ही सही रास्ता चुन रहा हूँ?
क्या मेरी मेहनत व्यर्थ तो नहीं जाएगी?
अगर कोई मेरा साथ नहीं देगा तो मैं कैसे आगे बढ़ पाऊंगा?"
ऐसे सवाल मन में उठना सामान्य है, पर याद रखो, सबसे बड़ा साथी तुम्हारा अपना विश्वास है। जब वह मजबूत होगा, तो दुनिया की कोई ताकत तुम्हें रोक नहीं पाएगी।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे अर्जुन, जब सब साथ छोड़ दें तब भी अपने धर्म से न हटो।
तुम्हारा कर्म तुम्हारा साथी है, उसे छोड़ो मत।
मैं तुम्हारे साथ हूँ, बस अपनी आँखें खोलो और अपने भीतर की शक्ति को पहचानो।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

कल्पना करो एक विद्यार्थी है जो कठिन परीक्षा की तैयारी कर रहा है। उसके माता-पिता या मित्र उसकी मेहनत को समझ नहीं पाते, पर वह दिन-रात पढ़ाई करता रहता है। किसी का समर्थन न मिलना उसे कमजोर नहीं बनाता, बल्कि वह अपने लक्ष्य के प्रति और दृढ़ हो जाता है। आखिरकार, उसकी मेहनत रंग लाती है और वह सफल होता है। यह सफलता उसकी आंतरिक दृढ़ता का फल है, न कि सिर्फ बाहरी समर्थन का।

✨ आज का एक कदम

आज अपने लक्ष्य को एक कागज पर लिखो और उसके सामने रोज़ सुबह और शाम अपने आप से कहो:
"मैं अपने सपने सच कर सकता हूँ। मेरी मेहनत मेरी ताकत है।"

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने लक्ष्य के प्रति पूरी ईमानदारी और निष्ठा से जुड़ा हूँ?
  • मेरी असली ताकत कहाँ से आती है? क्या मैं उसे पहचान पा रहा हूँ?

तुम अकेले नहीं हो, तुम्हारे भीतर ही तुम्हारा सबसे बड़ा साथी है
याद रखो, असली साथी वही है जो हमेशा तुम्हारे दिल में रहता है। जब तुम अपने भीतर की आवाज़ को सुनोगे, तो तुम्हें समझ आएगा कि तुम्हारा लक्ष्य तुम्हारे लिए कितना मूल्यवान है। कठिनाइयाँ आएंगी, पर वे तुम्हें तोड़ने नहीं, बल्कि मजबूत बनाने आई हैं। विश्वास रखो, तुम्हारा संघर्ष ही तुम्हारी सबसे बड़ी जीत होगी।
सदैव तुम्हारे साथ,
तुम्हारा आत्मीय गुरु 🙏

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