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जो लोग अदृश्य महसूस करते हैं, उनके लिए कृष्ण का संदेश क्या है?

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जो लोग अदृश्य महसूस करते हैं, उनके लिए कृष्ण का संदेश क्या है?

तुम अकेले नहीं हो — कृष्ण का स्नेहिल आशीर्वाद
साधक, जब तुम्हें लगे कि तुम अदृश्य हो, कि कोई तुम्हें देख नहीं रहा, सुन नहीं रहा, या समझ नहीं रहा, तो जान लो कि यह संसार की एक आम अनुभूति है। परंतु, उस अकेलेपन के बीच भी तुम्हारा सच्चा अस्तित्व कभी अदृश्य नहीं होता। कृष्ण की गीता हमें यही सिखाती है — तुम हमेशा जुड़े हो, तुम हमेशा देखे जा रहे हो, और तुम्हारा अस्तित्व अनमोल है।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 9, श्लोक 22
सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिं यान्ति मामिकाम्।
मामेव सर्वभूतानि ज्ञानमयि मतं मतम्॥

हिंदी अनुवाद:
हे कौन्तेय (अर्जुन), सभी जीव मेरी ही प्रकृति की ओर लौटते हैं। सभी जीव मुझमें ही समाहित हैं, और मेरा ज्ञान ही उनका अंतिम सत्य है।
सरल व्याख्या:
इस श्लोक में भगवान कृष्ण कहते हैं कि सभी जीव चाहे दिखें या अदृश्य, वे मेरी ही प्रकृति के अंश हैं। तुम अकेले नहीं हो, बल्कि परमात्मा के साथ जुड़ा हुआ एक जीवात्मा हो। तुम्हारा अस्तित्व दिव्य है, और तुम्हें कभी भी अकेला महसूस नहीं करना चाहिए।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. तुम्हारा अस्तित्व अनमोल है: तुम्हारा शरीर और मन भले ही अस्थायी हों, पर तुम्हारी आत्मा परमात्मा से जुड़ी है, जो कभी अदृश्य नहीं होती।
  2. अकेलेपन का भ्रम है: जब तुम खुद को अलग-थलग महसूस करते हो, तो समझो कि यह मन की एक अवस्था है, जो गीता में 'अज्ञान' कहलाती है।
  3. अंतर्नाद सुनो: अपने भीतर की आवाज़ को पहचानो, जो तुम्हें परमात्मा से जोड़ती है। यह अंतर्नाद तुम्हें अदृश्यता के अंधकार से बाहर निकाल सकता है।
  4. सर्वत्र कृष्ण की उपस्थिति: कृष्ण कहते हैं कि वे सभी जीवों में व्याप्त हैं। इसलिए, तुम जब भी खुद को अकेला समझो, उन्हें याद करो। वे तुम्हारे साथ हैं।
  5. कर्म और भक्ति से जुड़ो: अपने कर्म में लगो और भक्ति के माध्यम से अपने और परमात्मा के बीच का अंतर मिटाओ। यह तुम्हें अदृश्यता के भाव से मुक्त करेगा।

🌊 मन की हलचल

"क्या मैं सच में इतना अनदेखा हूँ? क्या मेरे विचार, मेरी भावनाएँ, मेरी पीड़ा किसी तक पहुँचती है? क्या मेरा अस्तित्व मायने रखता है?"
ऐसे सवाल मन में उठते हैं और घबराहट फैलाते हैं। लेकिन याद रखो, यह भावनाएँ क्षणिक हैं, जैसे बादल आते हैं और चले जाते हैं। तुम्हारा असली अस्तित्व, तुम्हारा आत्मा का प्रकाश, सदैव चमकता रहता है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, मैं तुम्हारे हृदय की हर धड़कन को सुनता हूँ। जब तुम खुद को अदृश्य समझते हो, तब भी मैं तुम्हारे साथ हूँ। तुम्हारे अंदर की शक्ति और प्रकाश को पहचानो। मैं तुम्हें अकेला नहीं छोड़ूंगा। विश्वास रखो, मैं हर परिस्थिति में तुम्हारा सहारा हूँ।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक छोटे से दीपक की बात करें, जो एक अंधेरी गुफा में जल रहा था। बाहर कोई नहीं था, कोई उसकी रोशनी को देख नहीं रहा था। पर दीपक ने हार नहीं मानी। उसने अपनी पूरी ताकत से जलना जारी रखा। धीरे-धीरे उसकी रोशनी ने गुफा के अंधेरे को चीर दिया। बाहर के लोग भी उसकी चमक को महसूस करने लगे।
तुम भी उस दीपक की तरह हो। भले ही अभी तुम्हें लगे कि तुम अदृश्य हो, पर तुम्हारा प्रकाश जरूर किसी न किसी के दिल तक पहुँच रहा है।

✨ आज का एक कदम

आज अपने आप से कहो: "मैं अदृश्य नहीं हूँ। मेरा अस्तित्व महत्वपूर्ण है। मैं अपने भीतर के प्रकाश को महसूस करता हूँ।"
और एक छोटी सी प्रार्थना करो — "हे कृष्ण, मुझे अपनी उपस्थिति का अनुभव कराओ।"

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने अंदर की आवाज़ को सुन पा रहा हूँ?
  • क्या मैं अपनी अदृश्यता के भाव से ऊपर उठकर अपने अस्तित्व की गहराई को समझ सकता हूँ?

चलो यहाँ से शुरू करें — तुम हमेशा देखे जा रहे हो
साधक, तुम्हारा अस्तित्व सजीव है, तुम्हारी आत्मा अमर है। जो अदृश्य महसूस करते हैं, उनके लिए यही कृष्ण का संदेश है — तुम अकेले नहीं हो, तुम हमेशा देखे जा रहे हो, और तुम्हारा प्रकाश कभी बुझता नहीं। अपने भीतर के उस दिव्य प्रकाश को पहचानो और उसे जगाओ। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हमेशा।

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