“सर्व धर्मान् परित्यज्य...” श्लोक का क्या अर्थ है?

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“सर्व धर्मान्परित्यज्य” श्लोक का अर्थ | गीता का सार हिंदी में
Answer

चलो यहाँ से शुरू करें: जब मन उलझन में हो, तो कृष्ण का संदेश साथ है
प्रिय शिष्य,
जब जीवन के रास्ते कठिन और भ्रमित करने वाले लगें, तब एक सरल लेकिन गहरा संदेश हमें मार्ग दिखाता है। "सर्व धर्मान् परित्यज्य..." यह श्लोक हमें बताता है कि सच्ची भक्ति और विश्वास का मार्ग कैसे अपनाना चाहिए। चलिए, इस दिव्य शब्दों के साथ अपने मन की गहराई में उतरते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

श्लोक:
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज |
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः ||
(भगवद् गीता, अध्याय 18, श्लोक 66)
हिंदी अनुवाद:
"सभी धर्मों को छोड़कर केवल मेरी शरण में आ जाओ। मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा, इसलिए शोक मत कर।"
सरल व्याख्या:
कृष्ण कहते हैं कि जब आप सभी नियमों, रीति-रिवाजों और बंधनों को त्याग कर पूरी तरह से मुझ पर भरोसा करते हैं, तो मैं तुम्हें हर तरह के दुःख और पाप से मुक्त कर दूंगा। यह निश्चय और समर्पण का संदेश है, जो जीवन को सरल और शांति से भर देता है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. समर्पण ही सच्चा धर्म है: जीवन के अनेक नियमों और विचारों में उलझने से बेहतर है कि आप अपने मन को पूर्ण रूप से ईश्वर को समर्पित कर दें।
  2. भय और शोक को त्यागें: जब आप कृष्ण की शरण में आते हैं, तो आपको जीवन के भय और दुखों से मुक्ति मिलती है।
  3. अहंकार का त्याग: अपने अहं को छोड़कर, जो आपको अलग करता है, आप ईश्वर के करीब पहुंचते हैं।
  4. संपूर्ण विश्वास: कृष्ण पर पूर्ण विश्वास ही मुक्ति का मार्ग है।
  5. जीवन का उद्देश्य: यह श्लोक बताता है कि जीवन का अंतिम उद्देश्य ईश्वर की भक्ति और शरण है।

🌊 मन की हलचल

शिष्य, मैं समझता हूँ कि जब मन कई धर्मों, विचारों और नियमों से घिरा होता है, तब भ्रम और असहजता होती है। "क्या मैं सही रास्ते पर हूँ?" "क्या मैं सभी नियमों का पालन कर पा रहा हूँ?" जैसे सवाल मन को बेचैन करते हैं। यह श्लोक तुम्हें कहता है कि इन सब उलझनों को छोड़ दो, और बस कृष्ण की शरण में आ जाओ। यही तुम्हारा सबसे बड़ा सहारा है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, जब तुम मुझ पर विश्वास कर लेते हो, तो मैं तुम्हें हर बंधन से मुक्त कर देता हूँ। तुम्हें अपने कर्मों की चिंता छोड़ देनी चाहिए। मैं तुम्हारे साथ हूँ, हर कदम पर। केवल मुझ पर भरोसा रखो, और शांति तुम्हारे हृदय में वास करेगी।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक नाविक था जो समुद्र में तुफान से घिर गया। उसने कई तरह के उपकरणों और तकनीकों को आजमाया, लेकिन कुछ काम नहीं आया। अंत में उसने नाव छोड़कर पूरी तरह से समुद्र की लहरों पर भरोसा कर दिया। तब उसने महसूस किया कि समुद्र उसे कहीं भी ले जा सकता है, और उसने भय छोड़ दिया। उसी तरह, जीवन के तुफानों में जब हम सभी बंधनों को छोड़कर भगवान की शरण में चले जाते हैं, तो हमें सच्ची मुक्ति और शांति मिलती है।

✨ आज का एक कदम

आज अपने मन की उन उलझनों को पहचानो, जो तुम्हें कृष्ण की शरण में आने से रोक रही हैं। एक छोटा सा कदम उठाओ — जैसे एक बार मन ही मन कृष्ण को समर्पित करते हुए कहो, "हे कृष्ण, मैं पूरी तरह तेरी शरण में आता हूँ।"

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने जीवन में किसी भी नियम या परंपरा को कृष्ण की भक्ति से ऊपर रख रहा हूँ?
  • मुझे कृष्ण की शरण में आने से क्या डर या संकोच है?

शांति की ओर एक कदम: विश्वास की ज्योति जलाओ
प्रिय शिष्य, याद रखो, यह श्लोक तुम्हें अकेला नहीं छोड़ता। यह तुम्हें उस दिव्य प्रेम और सुरक्षा की ओर ले जाता है, जो केवल कृष्ण के पास है। जब भी मन विचलित हो, इस श्लोक को स्मरण करो और अपने हृदय को कृष्ण की शरण में सौंप दो। यही तुम्हारी सबसे बड़ी शक्ति है।
शुभकामनाएँ! 🌸🙏

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“सर्वधर्मानParityajya” श्लोक का अर्थ जानें। यह भगवद गीता का महत्वपूर्ण संदेश है जो समर्पण और भक्ति की महत्ता बताता है। अधिक पढ़ें।