Fear & Anxiety

Mind Emotions & Self Mastery

How can I control my negative thoughts as per the Gita?


Discover Gita's timeless wisdom for inner peace and emotional balance. Find clarity amidst life's chaos.

Life Purpose, Work & Wisdom

What does the Bhagavad Gita say about finding my true calling?


Uncover ancient principles for meaningful work and a life driven by purpose. Navigate your path with spiritual insight.

Relationships & Connection

How can I improve my relationships with others using Gita's teachings?

Build harmonious connections rooted in spiritual understanding. Transform your interactions with love and compassion

Devotion & Spritual Practice

What is the best way to start a daily spiritual practice according to the Gita?

Deepen your connection with the Divine through authentic practices. Cultivate a heart filled with devotion and inner joy.

Karma Cycles & Life Challenges

How can I understand and overcome life's challenges through the law of Karma?

Navigate life's ups and downs with a deeper understanding of Karma. Find strength and resilience in every experience.

चलो यहाँ से शुरू करें: नई शुरुआत का साहस
नई शुरुआत का डर हर किसी के दिल में होता है। यह डर इसलिए भी आता है क्योंकि हम अनजाने में कदम रखने से घबराते हैं। लेकिन याद रखो, हर महान यात्रा का पहला कदम अनिश्चितता से भरा होता है। तुम अकेले नहीं हो, और इस डर को पार करना संभव है।

🕉️ शाश्वत श्लोक

संकल्प और साहस से जुड़ा श्लोक:

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

(भगवद् गीता 2.47)

अंधकार में भी तुम्हारा साथी हूँ
साधक, जब रात की चुप्पी गहरी होती है और चारों ओर सन्नाटा छा जाता है, तब मन के भीतर डर की लहरें उठना स्वाभाविक है। अकेलापन और अंधकार मिलकर हमारे मन के भय को बढ़ा देते हैं, क्योंकि मन अज्ञात से घबराता है। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो; तुम्हारे भीतर वह दिव्य शक्ति है जो अंधकार को प्रकाश में बदल सकती है।

भीतर की ताकत की खोज: डर से सामना करने का पहला कदम
साधक,
तुम्हारे मन में जो डर है, वह तुम्हारी मानवता का हिस्सा है। डर हमें कमजोर नहीं बनाता, बल्कि हमें चेतावनी देता है कि हम कुछ महत्वपूर्ण के करीब हैं। भीतर की ताकत विकसित करना कोई जादू नहीं, बल्कि एक यात्रा है — एक ऐसी यात्रा जिसमें हम अपने डर को समझते, स्वीकारते और फिर उससे पार पाते हैं। आइए, भगवद गीता के प्रकाश में इस यात्रा को समझें।

घबराहट और दबाव के बीच शांति की खोज
साधक, जब मन घबराहट और दबाव से भर जाता है, तो ऐसा लगता है जैसे जीवन की राह धुंधली हो गई हो। यह स्वाभाविक है, क्योंकि हम सब कभी न कभी ऐसे समय से गुजरते हैं। परंतु, भगवद गीता हमें बताती है कि इस भीड़-भाड़ और उलझन में भी हम अपने अंदर एक अटल शांति पा सकते हैं। चलिए, मिलकर उस शांति के द्वार खोलते हैं।

चिंता के बादल में भी तुम्हारा साथ है
प्रिय शिष्य, जब जीवन की घटनाएँ हमारे नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं, तो मन में बेचैनी और चिंता उठना स्वाभाविक है। यह अनुभूति तुम्हें अकेला महसूस करा सकती है, पर याद रखो, यह भी एक गुजरता हुआ मौसम है। भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने हमें ऐसे समय में भी स्थिरचित्त रहने का मार्ग दिखाया है। चलो, मिलकर इस चिंता के जाल से बाहर निकलने की राह खोजते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥

(अध्याय 2, श्लोक 48)

निर्भयता का दीपक: मन को निडर बनाने की कला
साधक,
तुम्हारा मन भय से घिरा हुआ है, और यह स्वाभाविक भी है। जीवन में अनिश्चितताएँ, चुनौतियाँ और अज्ञात राहें हमें अक्सर डराती हैं। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर महान योद्धा ने अपने मन को निडर बनाना सीखा है। आइए, भगवद गीता के अमूल्य उपदेशों से इस भय को दूर करने का मार्ग खोजें।

"चलो यहाँ से शुरू करें: चिंता के सागर में एक डुबकी"
साधक,
तुम्हारा मन “क्या होगा अगर” की अनगिनत लहरों में उलझा हुआ है। यह चिंता का चक्र कभी-कभी ऐसा होता है जैसे हम एक अंधेरे जंगल में खो गए हों, जहां हर कदम पर डर और अनिश्चितता होती है। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर मनुष्य के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब भविष्य की अनिश्चितता उसे घेर लेती है। आइए, भगवद गीता के दिव्य प्रकाश में इस उलझन को समझें और उसे सहजता से पार करें।

भय: कमजोरी नहीं, जीवन की सीख
साधक, तुम्हारे मन में भय को लेकर जो सवाल है, वह बहुत स्वाभाविक है। भय हम सबके जीवन में आता है, कभी-कभी वह हमें रोकता है, कभी-कभी हमें सोचने पर मजबूर करता है। पर क्या भय वास्तव में कमजोरी है? भगवद गीता हमें इस प्रश्न का गहरा और सार्थक उत्तर देती है। आइए, मिलकर समझें।

डर को गले लगाओ, क्योंकि तुम अकेले नहीं हो
प्रिय मित्र, जीवन के सफर में डर एक स्वाभाविक साथी है। तुम्हारे सामने जो भी परिस्थितियाँ आती हैं, वे तुम्हारे साहस को परखने के लिए होती हैं, न कि तुम्हें रोकने के लिए। डर को भागने का कारण न समझो, बल्कि उसे समझो और उससे सीखो। चलो, भगवद गीता के प्रकाश में इस भय को कैसे दूर करें, इसे समझते हैं।

मृत्यु का भय: चलो इसे समझें और शांति पाएं
प्रिय शिष्य, जीवन में मृत्यु का भय एक स्वाभाविक अनुभूति है। यह भय हमें असमंजस में डालता है, मन को अशांत करता है और जीवन की सच्ची खुशी से दूर कर देता है। परन्तु, भगवद गीता हमें बताती है कि मृत्यु केवल एक परिवर्तन है, अंत नहीं। आइए, इस भय को भगवद गीता के प्रकाश में समझें और उसे पार करें।