Career, Purpose & Decision Making

Mind Emotions & Self Mastery

How can I control my negative thoughts as per the Gita?


Discover Gita's timeless wisdom for inner peace and emotional balance. Find clarity amidst life's chaos.

Life Purpose, Work & Wisdom

What does the Bhagavad Gita say about finding my true calling?


Uncover ancient principles for meaningful work and a life driven by purpose. Navigate your path with spiritual insight.

Relationships & Connection

How can I improve my relationships with others using Gita's teachings?

Build harmonious connections rooted in spiritual understanding. Transform your interactions with love and compassion

Devotion & Spritual Practice

What is the best way to start a daily spiritual practice according to the Gita?

Deepen your connection with the Divine through authentic practices. Cultivate a heart filled with devotion and inner joy.

Karma Cycles & Life Challenges

How can I understand and overcome life's challenges through the law of Karma?

Navigate life's ups and downs with a deeper understanding of Karma. Find strength and resilience in every experience.

आध्यात्मिकता और कॉर्पोरेट जीवन: संभव है, जब समझदारी साथ हो
प्रिय मित्र,
तुम्हारे मन में जो सवाल उठ रहा है वह बहुत ही सामान्य और महत्वपूर्ण है। आज की तेज़-तर्रार कॉर्पोरेट दुनिया में काम के दबाव और तनाव के बीच आध्यात्मिकता का पालन करना चुनौतीपूर्ण लगता है। परंतु, गीता हमें सिखाती है कि जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन और जागरूकता से हम आध्यात्मिकता को जीवित रख सकते हैं। तुम अकेले नहीं हो, और यह संभव है—बस दृष्टिकोण और अभ्यास का सही होना ज़रूरी है।

अंधकार में भी उजाला है: नौकरी छूटने और अनिश्चितता में आशा की किरण
साधक,
जब जीवन की राह में अचानक अंधेरा घिर आता है, जैसे नौकरी छूट जाना और सामने वित्तीय अनिश्चितता का भय, तब मन डगमगाता है, आत्मा थरथराती है। मैं जानता हूँ, यह समय कितना कठिन होता है। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर संकट के बाद नया सवेरा होता है, और गीता के शब्द तुम्हारे लिए दीपक की तरह हैं जो अंधकार में मार्ग दिखाएंगे।

कर्म की राह पर चलो: फल की चिंता छोड़ो, कर्म पर भरोसा रखो
साधक, जीवन के इस मोड़ पर जब तुम अपने करियर और निर्णयों के बीच उलझन में हो, यह समझना जरूरी है कि कर्म और उसके फलों के बीच का अंतर क्या है। अक्सर हम अपने प्रयासों के परिणामों को लेकर चिंतित रहते हैं, लेकिन भगवद गीता हमें एक गहरा सत्य सिखाती है — कर्म करो, पर फल की आसक्ति मत करो। यह तुम्हें मानसिक शांति और स्थिरता दोनों देगा।

सफलता की चोटी पर भी जमीनी बने रहना — एक गुरु की बात
साधक,
यह सफर जो तुमने चुना है, वह केवल मंज़िल पाने का नहीं, बल्कि रास्ते में खुद को पहचानने और अपने मूल्यों से जुड़े रहने का भी है। पेशेवर सफलता की चमक में खो जाना आसान है, लेकिन गीता हमें सिखाती है कि सच्ची सफलता वही है जिसमें मन की स्थिरता और आत्मा की शांति बनी रहे। चलो, इस राह को गीता के प्रकाश में समझते हैं।

जीवन के मोड़ पर: जब निर्णय बनाना हो कठिन
साधक, जीवन के बड़े निर्णय अक्सर हमें उलझन में डाल देते हैं। ऐसा लगता है जैसे रास्ते कई हों और मन असमंजस में डूबा हो। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर महान यात्रा का आरंभ एक छोटे से कदम से होता है, और हर उलझन में छिपा होता है एक गहरा संदेश। आइए, श्रीकृष्ण के अमूल्य उपदेशों से उस घबराहट को दूर करें और अपने मन को स्थिर करें।

कर्म की राह पर धर्म और नैतिकता का दीप जलाएं
साधक,
तुम अपने करियर की ऊँचाइयों को छूना चाहते हो, पर इस सफर में नैतिकता और धर्म की कसौटी पर भी खरे उतरना चाहते हो। यह एक सुंदर और साहसिक प्रश्न है। याद रखो, सफलता का असली मापदंड केवल पद और पैसा नहीं, बल्कि तुम्हारे कर्मों की शुद्धता और तुम्हारे हृदय की शांति है। तुम अकेले नहीं हो, यह मार्ग सभी महान आत्माओं ने अपनाया है। चलो, गीता के अमृतमय शब्दों से इस उलझन को सुलझाते हैं।

सफलता के संग्राम में: गीता से उद्यमियों के लिए जीवन-दर्शन
प्रिय युवा उद्यमी,
तुम्हारे मन में जो सवाल हैं, वे बहुत सामान्य हैं। नया व्यवसाय शुरू करना, निर्णय लेना, जोखिम उठाना — ये सब जीवन के बड़े संघर्ष हैं। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। भगवद गीता का ज्ञान सदियों से ऐसे ही अनिश्चित समय में मनुष्य का मार्गदर्शन करता आया है। आइए, गीता की उस अमूल्य सीख को समझें जो तुम्हारे उद्यमी जीवन को संवार सकती है।

हार नहीं, सीख है ये सफर
साधक, जब करियर के रास्ते पर असफलता आपके कदमों से टकराती है, तो यह स्वाभाविक है कि मन उदास और आशंकित हो जाता है। पर याद रखो, असफलता कोई अंत नहीं, बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत है। तुम अकेले नहीं हो; हर सफल व्यक्ति ने असफलताओं को गले लगाकर ही अपनी मंज़िल पाई है। आइए, भगवद गीता के अमृत शब्दों से इस उलझन का हल खोजें।

जब परिवार और स्वप्नों के बीच हो टकराव: तुम अकेले नहीं हो
साधक, यह सवाल तुम्हारे मन में गूंजता है – क्या मैं अपने सपनों को पूरा करने के लिए परिवार की अपेक्षाओं से ऊपर उठकर स्वार्थी हो जाऊंगा? यह संघर्ष हर उस व्यक्ति के जीवन में आता है जो अपने उद्देश्य की ओर बढ़ना चाहता है। तुम्हारा यह सवाल तुम्हारी संवेदनशीलता और जिम्मेदारी की गवाही देता है। चलो, हम भगवद गीता की अमूल्य शिक्षाओं से इस उलझन को समझते हैं।

अहंकार के साये से बाहर: सफलता की असली राह
साधक,
जब हम अपने व्यावसायिक जीवन में सफलता की ओर बढ़ते हैं, तो अहंकार का प्रकोप अक्सर हमारे सबसे बड़े विरोधी बन जाता है। तुम्हारा यह प्रश्न बहुत गहरा है, क्योंकि सफलता का असली सार अहंकार को त्याग कर विनम्रता में छिपा होता है। चलो, हम भगवद गीता के प्रकाश में इस उलझन को सुलझाते हैं।