मन की गहराई में स्थिरता की ओर पहला कदम
साधक,
जब मन विचलित होता है, तो जीवन की राह धुंधली लगती है। तुम्हारा यह सवाल — स्थिर मन के लिए गीता क्या अभ्यास सुझाती है? — यह बताता है कि तुम अपने भीतर की उथल-पुथल को समझना चाहते हो, उसे शांत करना चाहते हो। जान लो, तुम अकेले नहीं हो। हर महान योगी ने भी इसी प्रश्न का सामना किया है। आइए, गीता के अमृत शब्दों से हम उस स्थिरता के द्वार खोलें।