भक्ति का सच्चा स्वरूप: मंदिर से परे भी है यह यात्रा
प्रिय शिष्य,
तुम्हारा यह प्रश्न बहुत गहरा है। भक्ति केवल मंदिर की दीवारों में सीमित नहीं है, न ही पूजा की विधियों में। यह तो आत्मा के उस गहरे स्पंदन का नाम है, जो हर दिल में होता है। चिंता मत करो, हम साथ हैं इस रहस्य को समझने के लिए।