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कृष्ण की आंतरिक शक्ति पर शिक्षाएँ क्या हैं?

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कृष्ण की आंतरिक शक्ति पर शिक्षाएँ क्या हैं?

अपने भीतर छिपी अनंत शक्ति को पहचानो
साधक, जब तुम्हारा मन अस्थिर हो, जब जीवन की चुनौतियाँ भारी लगें, तब याद रखना कि तुम्हारे भीतर एक अनमोल शक्ति छुपी है — वही शक्ति जो तुम्हें हर परिस्थिति से पार लगा सकती है। कृष्ण की शिक्षाएँ हमें यही सिखाती हैं कि असली शक्ति बाहरी नहीं, बल्कि हमारे अंदर की जागरूकता और स्थिरता में है।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 50
"बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते।
तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम्॥"

हिंदी अनुवाद:
बुद्धि से युक्त व्यक्ति इस संसार में दोनों प्रकार के कर्मों — अच्छे और बुरे — को त्याग देता है। इसलिए, तुम योग के लिए तत्पर रहो। योग कर्मों में कुशलता है।
सरल व्याख्या:
जब तुम अपने कर्मों को बुद्धिमानी से, बिना आसक्ति के करते हो, तब तुम्हारा मन स्थिर और शक्तिशाली बनता है। कर्म योग ही आंतरिक शक्ति का मार्ग है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. स्वयं को जानो: कृष्ण कहते हैं, "मैं आत्मा हूँ, न शरीर।" अपनी असली पहचान जानो, तभी आंतरिक शक्ति जागेगी।
  2. कर्म योग अपनाओ: फल की चिंता छोड़कर कर्म करो, इससे मन की स्थिरता बढ़ती है।
  3. भावनाओं को संतुलित रखो: सुख-दुख, जीत-हार में समान भाव रखो, यही मानसिक शांति और शक्ति है।
  4. अहंकार से ऊपर उठो: जब अहंकार कम होगा, तब तुम्हारी शक्ति बढ़ेगी।
  5. ध्यान और समर्पण: अपने कार्यों को ईश्वर को समर्पित करो, इससे मन में अडिग शक्ति आती है।

🌊 मन की हलचल

तुम सोच रहे हो, "मैं कमजोर हूँ, मेरी शक्ति कहाँ है?" ये सवाल तुम्हारे भीतर जागरूकता का पहला कदम है। यह स्वीकारना कि तुम्हें आंतरिक शक्ति की जरूरत है, ही तुम्हें उस शक्ति के करीब ले जाता है। चिंता मत करो, हर महान योद्धा ने अपने भीतर की शक्ति को खोजने के लिए संघर्ष किया है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे साधक, जो शक्ति तुम बाहर ढूँढ़ते हो, वह सब तुम्हारे भीतर है। जब तुम अपने मन को समझोगे, उसे नियंत्रित करोगे, तब तुम्हें मेरी शक्ति का अनुभव होगा। अपने कर्मों में लीन रहो, और मुझ पर भरोसा रखो। मैं तुम्हारे साथ हूँ।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

कल्पना करो एक छात्र परीक्षा की तैयारी कर रहा है। वह नर्वस है, डरा हुआ है। लेकिन जब वह अपने भीतर की आवाज़ सुनता है, अपनी मेहनत पर विश्वास करता है, तब वह अपने डर को पीछे छोड़ देता है। उसी तरह, तुम्हारे भीतर की शक्ति तुम्हारे डर और अस्थिरता को हराकर तुम्हें सफलता की ओर ले जाएगी।

✨ आज का एक कदम

आज अपने दिन के किसी एक कार्य को पूरी लगन और बिना किसी चिंता के करो। फल की चिंता छोड़ दो और केवल कर्म पर ध्यान दो। देखो कैसे तुम्हारा मन शांत और शक्तिशाली महसूस करता है।

🧘 अंदर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने भीतर की शक्ति को पहचानने के लिए तैयार हूँ?
  • मैं अपने कर्मों को किस भाव से कर रहा हूँ — आसक्ति से या समर्पण से?

आत्मा की शांति में छिपी है असली शक्ति
याद रखो, तुम्हारी आंतरिक शक्ति तुम्हारे सोचने, समझने और कर्म करने की क्षमता में निहित है। कृष्ण की शिक्षाएँ तुम्हें यही रास्ता दिखाती हैं — अपने मन को स्थिर करो, कर्म करो, और अपने भीतर की दिव्यता को पहचानो। तुम अकेले नहीं हो, मैं तुम्हारे साथ हूँ।

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