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लोगों से बिना उन्हें चोट पहुँचाए कैसे अलग हुआ जाए?

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लोगों से बिना उन्हें चोट पहुँचाए कैसे अलग हुआ जाए?

अलगाव की कोमल कला: बिना चोट पहुँचाए दूरी बनाना
साधक, यह मनुष्य जीवन की एक सूक्ष्म और संवेदनशील चुनौती है — जब हमें अपने और दूसरों के बीच दूरी बनानी हो, पर बिना किसी के दिल को आहत किए। तुम्हारा यह प्रश्न इस बात का प्रमाण है कि तुम्हारा हृदय कितना कोमल और समझदार है। चलो, इस राह को गीता के प्रकाश में देखना और समझना शुरू करते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

संसार से अलगाव और संतुलित व्यवहार का सूत्र:

मज्जन्ते च तानि सर्वाणि सङ्गेऽस्त्वकर्मणि च।
तस्यात्मा विनद्योतते न तत्र संशयः कुतः॥

(भगवद्गीता 5.10)

हिंदी अनुवाद:
जो व्यक्ति कामों में लगे रहते हुए भी उनसे आसक्ति नहीं रखते, वे संसार की वस्तुओं में फंसे नहीं रहते। ऐसे व्यक्ति का मन शांत रहता है और उसमें संशय नहीं आता।
सरल व्याख्या:
जब हम कर्म करते हैं लेकिन उससे जुड़ी आसक्ति छोड़ देते हैं, तब हम संसार के बंधनों से मुक्त हो जाते हैं। इसी तरह, जब हम लोगों से दूरी बनाएं, तो बिना उन्हें चोट पहुँचाए, हमें अपने मन में आसक्ति और द्वेष दोनों को त्यागना होगा।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. आसक्ति त्यागो, पर सम्मान बनाये रखो:
    अलगाव का अर्थ नफरत या क्रोध नहीं, बल्कि प्रेम और सम्मान के साथ दूरी बनाना है।
  2. कर्तव्य और स्वधर्म का पालन करो:
    अपने कर्तव्यों को समझो और निभाओ, पर दूसरों की सीमाओं का आदर करो।
  3. मन को स्थिर करो, भावनाओं को समझो:
    अपने मन की हलचल को पहचानो, उसे नियंत्रित करो — ताकि निर्णय बुद्धिमत्ता से हो।
  4. दूसरों के दृष्टिकोण को समझो:
    हर व्यक्ति की अपनी सीमाएं और संवेदनाएं होती हैं। उनकी भावनाओं को समझना ही बिना चोट पहुँचाए दूरी बनाने का पहला कदम है।
  5. संयम और शांति से संवाद करो:
    अपनी बातों में कोमलता और संयम रखो, ताकि वे तुम्हारे शब्दों को प्रेम और समझ के साथ ग्रहण करें।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारे मन में शायद यह सवाल उठ रहा होगा — "क्या वे लोग मुझे गलत समझेंगे? क्या वे दुखी होंगे? क्या मैं अकेला हो जाऊंगा?" यह स्वाभाविक है। पर याद रखो, जो लोग तुम्हारी सच्चाई और सम्मान को समझेंगे, वे तुम्हारे निर्णय का आदर करेंगे। और जो नहीं समझेंगे, उनका बोझ तुम्हें क्यों सहना चाहिए?

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे अर्जुन, जब तुम्हें दूरी बनानी हो, तो उसे अपने मन की शांति और सच्चाई से करो। बिना द्वेष के, बिना क्रोध के। याद रखो, मैं हर दिल में हूँ, और जो भी सच्चे मन से अपने कर्म करो, मैं उसके साथ हूँ। इसलिए, प्रेम और धैर्य से अपनी राह चुनो।"

🌱 एक छोटी सी कहानी

एक बार एक वृक्ष था, जिसकी शाखाएँ आस-पास के पेड़ों से उलझी हुई थीं। वह चाहता था कि उसकी शाखाएँ स्वतंत्र हों, ताकि वह खुलकर सूरज की रोशनी पा सके। पर शाखाएँ इतनी घनी थीं कि टूटने पर वे पेड़ों को चोट पहुँचा सकती थीं। तब वृक्ष ने धीरे-धीरे, सावधानी से अपनी शाखाओं को मोड़ना और संकुचित करना शुरू किया। उसने शाखाओं को बिना तोड़े, धीरे-धीरे अपनी जगह बनाई। धीरे-धीरे, शाखाएँ खुलीं और वृक्ष ने स्वतंत्रता पाई, बिना किसी को चोट पहुँचाए।
ठीक वैसे ही, तुम्हें भी अपने संबंधों में कोमलता से दूरी बनानी होगी।

✨ आज का एक कदम

आज किसी ऐसे व्यक्ति से, जिससे दूरी बनानी है, प्रेम और विनम्रता से अपनी भावनाएँ साझा करो। सीधे और शांति से कहो कि तुम्हें कुछ समय और जगह चाहिए, ताकि तुम स्वयं को बेहतर समझ सको।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने मन की असली भावनाओं को समझ पा रहा हूँ?
  • क्या मेरा अलगाव प्रेम और सम्मान से भरा है, या उसमें कोई क्रोध या घृणा छिपी है?

🌼 शांति की ओर एक कदम
साधक, याद रखो कि बिना चोट पहुँचाए अलग होना एक कला है, और वह कला प्रेम, समझदारी और धैर्य से ही संभव है। तुम्हारे हृदय में जो कोमलता है, वही तुम्हें सही मार्ग दिखाएगी। तुम अकेले नहीं हो, यह राह सभी ने कभी न कभी चली है। विश्वास रखो, तुम अपने और दूसरों के लिए सबसे अच्छा निर्णय ले रहे हो।
शुभकामनाएँ और प्रेम सहित।

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