अहंकार की आग में फंसा मन: झगड़ों और दलीलों का सच
साधक, जब मन में अहंकार की ज्वाला जलती है, तब शब्द भी तलवार बन जाते हैं और संवाद लड़ाई का मैदान। तुम्हारा यह प्रश्न बहुत गहरा है, क्योंकि अहंकार ही वह जड़ है जिससे क्रोध, ईर्ष्या और विवाद जन्म लेते हैं। चलो, हम भगवद गीता के प्रकाश से इस उलझन को सुलझाते हैं।
🕉️ शाश्वत श्लोक
अध्याय 2, श्लोक 70
"आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठं समधिगच्छन्नचलं स्थिरमिव मनः।
यत्सम्यक् प्रवृत्तिं उपासते तं प्राहुः परमं सुखमश्नुते॥"
हिंदी अनुवाद:
जो मन कभी न थकने वाला, अचल और स्थिर हो, जो अपने लक्ष्य में दृढ़ रहता हो, और जो सम्यक् (सही) मार्ग पर चलता हो, वही परम सुख प्राप्त करता है।
सरल व्याख्या:
जब मन अहंकार और क्रोध से मुक्त होकर स्थिर और शांत हो जाता है, तभी वह सच्चा सुख पाता है। अहंकार और दलीलों से भरा मन कभी स्थिर नहीं रह सकता।
🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन
- अहंकार मन का विकार है — यह मन को भ्रमित करता है और सही निर्णय लेने से रोकता है।
- दलीलें अहंकार की रक्षा के हथियार हैं — हम अपनी पहचान बचाने के लिए झगड़ते हैं।
- शांत मन में ही सत्य का वास होता है — अहंकार को त्यागकर ही संवाद में सच्चाई और प्रेम आ सकता है।
- स्वयं को जानना अहंकार से मुक्ति का पहला कदम है — गीता कहती है कि आत्मा नित्य है, अहंकार क्षणिक।
- संयम और समत्व से मन को नियंत्रित करो — यह क्रोध और ईर्ष्या को बुझाता है।
🌊 मन की हलचल
तुम्हारे भीतर यह आवाज़ भी होगी — "मैं सही हूँ, मेरी बात को क्यों नहीं समझते?" या "मुझे चोट लगी है, इसलिए मैं गुस्सा हूँ।" यह अहंकार की भाषा है, जो तुम्हें और दूसरों को दूर कर देती है। पर याद रखो, असली शक्ति अहंकार छोड़कर विनम्रता में है।
📿 कृष्ण क्या कहेंगे...
"हे अर्जुन, जब तुम्हारा मन अहंकार से भरा हो, तब दलीलें केवल भ्रम और पीड़ा लाती हैं। अपने मन को स्थिर करो, अपने भीतर के सच्चे स्वरूप को पहचानो। अहंकार छोड़ो, तब तुम्हारे शब्द प्रेम और समझदारी के होंगे। यही जीवन का सार है।"
🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा
एक बार दो किसान अपने खेत की सीमा को लेकर झगड़ने लगे। दोनों अपने-अपने दावे पर अड़े रहे। तभी एक बुद्धिमान वृद्ध आया और बोला, "अगर तुम दोनों अपने अहंकार को मिटा दो, तो खेत का असली मालिक तुम्हारी दोस्ती होगी।" किसान समझ गए कि झगड़ा उनके अहंकार की आग में जल रहा था, और उन्होंने मिलकर खेत की सीमा तय की। उस दिन से उनकी दोस्ती और खेत दोनों फलने लगे।
✨ आज का एक कदम
आज अपने मन में उठने वाले हर क्रोध और दलील को एक कदम पीछे हटकर देखो। पूछो — "क्या यह अहंकार की आवाज़ है या मेरा सच्चा मन?" इस अंतर को समझना ही अहंकार पर विजय का पहला कदम है।
🧘 अंदर झांके कुछ क्षण
- क्या मैं अपनी दलीलों में अहंकार को पहचान पा रहा हूँ?
- जब मैं क्रोधित होता हूँ, तो मेरा मन स्थिर रहता है या अशांत?
अहंकार से मुक्त मन की ओर पहला कदम
प्रिय, तुम्हारा संघर्ष सामान्य है, और यह समझना ही आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत है। अहंकार के पर्दे को हटाकर जब तुम अपने अंदर की शांति देखोगे, तब दलीलें भी शांत हो जाएंगी और मन में प्रेम की बहार आएगी। मैं तुम्हारे साथ हूँ, इस पथ पर कदम बढ़ाते रहो।
शुभकामनाएँ। 🌸🙏