Skip to header Skip to main navigation Skip to main content Skip to footer
Hindi
Gita Answers
Gita Answers
जब जीवन प्रश्न करता है, गीता समाधान देती है

मुख्य नेविगेशन

  • मुख्य पृष्ठ

अपना संदेह पूछें… गीता राह दिखाएगी

किसी चीज़ को छोड़ने या प्रयास जारी रखने का निर्णय कैसे लें?

पग चिन्ह

  • मुख्य पृष्ठ
  • किसी चीज़ को छोड़ने या प्रयास जारी रखने का निर्णय कैसे लें?

किसी चीज़ को छोड़ने या प्रयास जारी रखने का निर्णय कैसे लें?

चलो यहाँ से शुरू करें: छोड़ने और थामने के बीच की राह
साधक, जीवन में अक्सर हम ऐसे मोड़ पर आते हैं जब हमें यह समझना मुश्किल हो जाता है कि कब किसी चीज़ को छोड़ना चाहिए और कब उसे थामे रखना चाहिए। यह उलझन तुम्हारे मन को बेचैन करती है, और तुम्हारे दिल में अनिश्चितता की छाया डालती है। जान लो, तुम अकेले नहीं हो, यह संघर्ष हर मानव के जीवन का हिस्सा है। आइए, भगवद् गीता के प्रकाश में इस प्रश्न का उत्तर खोजें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

संकल्प और त्याग के विषय में गीता का संदेश:

सङ्कल्पप्रसङ्गे बहुशः संशयमात्मनः।
तद्विद्धि निश्चयं योगं सम्यग्विचिन्तयन्॥

(भगवद् गीता 18.39)

हिंदी अनुवाद:
मनुष्य के मन में अनेक प्रकार के संकल्प और संशय उत्पन्न होते हैं। अतः यह समझना चाहिए कि योग अर्थात सम्यक् विचार करने से ही निश्चय करना चाहिए।
सरल व्याख्या:
जब तुम किसी निर्णय के बीच उलझन में हो, तो जल्दबाजी मत करो। अपने मन को शांति से बैठाकर, पूरी समझदारी और विवेक के साथ विचार करो। यही योग है — विचारशीलता और संतुलित निर्णय।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. विवेक से निर्णय लेना:
    मन के भ्रम और भावनाओं में बहकर निर्णय मत लो। अपने कर्म, फल और परिस्थिति का संतुलित मूल्यांकन करो।
  2. कर्मयोग अपनाना:
    परिणाम की चिंता किए बिना कर्म करते रहो। प्रयास जारी रखना या छोड़ना, दोनों ही कर्म हैं; योगी अपने कर्मों में निष्ठा रखता है।
  3. अहंकार और आसक्ति से मुक्त होना:
    जो तुम्हें बांधता है, उसे पहचानो। यदि कोई वस्तु या संबंध तुम्हारे आध्यात्मिक विकास में बाधा है, तो उसे त्यागना ही शांति का मार्ग है।
  4. भगवान पर विश्वास और समर्पण:
    अंतिम निर्णय में ईश्वर की इच्छा को स्वीकार करना भी योग का हिस्सा है। समर्पण से मन को शांति मिलती है।
  5. स्थिरता और धैर्य:
    कभी-कभी छोड़ने का निर्णय धैर्य से आता है, और कभी थामे रखने की शक्ति भी धैर्य से आती है। दोनों में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारा मन कहता होगा:
"क्या मैं सही कर रहा हूँ? अगर मैं छोड़ दूं तो पछताऊंगा, और अगर थामे रहूं तो और दुख होगा।"
यह द्वंद्व स्वाभाविक है। याद रखो, मन की यह उलझन तुम्हारी चेतना की गहराई में झांकने का अवसर है। इसे दबाओ मत, बल्कि समझो और उससे सीखो।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे अर्जुन, मैं तुम्हारे भीतर हूँ। तुम्हारे हर निर्णय में मैं साथ हूँ। जब तुम थक जाओ, तो मुझ पर भरोसा रखो। जब तुम्हें लगे कि छोड़ना बेहतर है, तो अपने हृदय की आवाज़ सुनो। मैं तुम्हें वह शक्ति दूंगा जो तुम्हें सही राह दिखाएगी। याद रखो, त्याग और समर्पण से बड़ा कोई बल नहीं।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक बागवान ने एक पेड़ लगाया। वह रोज़ पानी देता, देखभाल करता। पर कुछ सालों बाद, पेड़ कमजोर दिखने लगा। बागवान ने सोचा, "क्या मैं इसे छोड़ दूं?" लेकिन उसने धैर्य रखा, पोषण बदला, और पेड़ फिर से हरा-भरा हो गया। कभी-कभी हमें भी अपने प्रयासों को बदलना होता है, न कि छोड़ना। पर अगर पेड़ सूखता ही चला जाए, तो उसे हटाकर नए बीज बोना भी बुद्धिमानी है।

✨ आज का एक कदम

आज एक शांत जगह बैठो और अपने मन के दो पहलुओं को पहचानो — एक जो थामे रहने को कहता है, दूसरा जो छोड़ने को। दोनों की बातें बिना किसी निर्णय के सुनो। फिर सोचो, कौन सा तुम्हारे अंदर सच्ची शांति लाता है।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मेरा मन किसी चीज़ से जुड़ा है क्योंकि मैं उससे डरता हूँ खोने से?
  • क्या मेरा यह निर्णय मुझे और मेरे जीवन को शांति और विकास की ओर ले जाएगा?

शांति की ओर एक कदम
साधक, याद रखो, जीवन में छोड़ना और थामना दोनों ही कला हैं। जब तुम अपने मन को समझोगे, अपने कर्म को समर्पित करोगे और ईश्वर पर विश्वास रखोगे, तब निर्णय अपने आप स्पष्ट हो जाएगा। तुम अकेले नहीं, मैं तुम्हारे साथ हूँ। शांति और प्रेम के साथ आगे बढ़ो।
ॐ शांति: शांति: शांति:।

Footer menu

  • संपर्क

Copyright © 2025 Gita Answers - All rights reserved

Gita Answers Gita Answers