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अलगाव के दौरान कृष्ण का साथी के रूप में क्या भूमिका है?

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अलगाव के दौरान कृष्ण का साथी के रूप में क्या भूमिका है?

तुम अकेले नहीं हो: कृष्ण का साथीपन जब सब कुछ सुनसान लगे
प्रिय मित्र, जब जीवन में अलगाव का सन्नाटा छा जाता है, तब मन एकाकीपन की गहराइयों में खो जाता है। उस समय, कृष्ण का साथ हमारे लिए एक अमूल्य उपहार बन जाता है। आइए, गीता के दिव्य शब्दों के माध्यम से समझें कि कैसे कृष्ण अकेलेपन में हमारा साथी बनकर हमें अंदर से मजबूत करते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक: भगवान कृष्ण की साथी भूमिका

श्लोक:
योगेश्वर भगवान कृष्ण का वचन
अध्याय 18, श्लोक 66
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।।

हिंदी अनुवाद:
सभी धर्मों को त्याग कर केवल मेरी शरण में आओ। मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर दूंगा, इसलिए चिंता मत करो।
सरल व्याख्या:
जब हम अकेलापन महसूस करते हैं, तब कृष्ण हमें याद दिलाते हैं कि हम उनकी शरण में आ सकते हैं। वे अकेलेपन को दूर करते हुए, हमारे सभी भय और पापों को दूर कर देते हैं। वे हमारे परम साथी हैं, जो हमें कभी अकेला नहीं छोड़ेंगे।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. कृष्ण का सदा साथ: कृष्ण कहते हैं कि हम चाहे कितनी भी मुश्किलों में हों, उनका साथ हमें हमेशा मिलेगा। अकेलेपन में भी हम अकेले नहीं हैं।
  2. आत्म-शक्ति की खोज: कृष्ण हमें स्वयं के भीतर झांकने और अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानने का साहस देते हैं।
  3. शरणागत की रक्षा: जब हम पूरी तरह उनकी शरण में जाते हैं, तो वे हमारे सारे दुःखों को दूर करते हैं।
  4. अहंकार का त्याग: अलगाव में अहंकार बढ़ सकता है, कृष्ण हमें अहंकार त्यागने और विनम्र होने का मार्ग दिखाते हैं।
  5. अंतर्मुखी ध्यान: कृष्ण के स्मरण से मन की हलचल शांत होती है, और हम अपने अंदर के सच्चे साथी से जुड़ पाते हैं।

🌊 मन की हलचल: अकेलेपन की गूँज

"मैं इतना अकेला क्यों महसूस कर रहा हूँ? क्या कोई है जो मेरी पीड़ा समझे? क्या कोई है जो मेरे साथ खड़ा रहेगा?" यह सवाल मन में उठते हैं। लेकिन याद रखो, यह अकेलापन अस्थायी है। कृष्ण तुम्हारे भीतर और तुम्हारे साथ हैं — बस उन्हें पहचानने की देर है।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, जब तुम्हें लगे कि सब कुछ दूर हो गया है, तब मेरी याद करो। मैं तुम्हारे दिल की गहराइयों में हूँ। तुम्हारा अकेलापन मेरा नहीं। मैं तुम्हारा साथी हूँ, तुम्हारा मार्गदर्शक हूँ। मुझ पर भरोसा रखो, मैं तुम्हें अकेला नहीं छोड़ूंगा।"

🌱 एक छोटी सी कहानी: सुनसान रास्ते पर साथी

एक बार एक यात्री सुनसान जंगल में खो गया। चारों ओर अंधेरा और सन्नाटा था। वह डर गया, लेकिन तभी उसने एक दीपक जलाया। वह दीपक उसके लिए कृष्ण का रूप था, जो अंधकार में भी उसका मार्ग दिखाता रहा। अकेलेपन के जंगल में भी दीपक जलाए रखना ही कृष्ण का साथ है।

✨ आज का एक कदम

आज अपने दिल में कृष्ण का स्मरण करें — चाहे ५ मिनट के लिए। आंखें बंद करें, गहरी सांस लें और मन में softly कहें: "कृष्ण, मैं तुम्हारे साथ हूँ।" यह छोटा अभ्यास तुम्हें अंदर से मजबूत करेगा।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं सचमुच अकेला हूँ, या कृष्ण का साथीपन मेरे भीतर मौजूद है?
  • मैं अपने अकेलेपन को स्वीकार कर, कैसे उसे कृष्ण के साथ जुड़ने का अवसर बना सकता हूँ?

चलो यहाँ से शुरू करें: अकेलेपन में कृष्ण की दोस्ती को गले लगाएं
अकेलापन एक अनुभव है, पर कृष्ण की मित्रता एक सच्चा साथी है जो कभी दूर नहीं होता। उनके साथ चलो, उनके साथ मुस्कुराओ, और अपने भीतर की शांति को खोजो। तुम अकेले नहीं हो, मैं तुम्हारे साथ हूँ।

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