Skip to header Skip to main navigation Skip to main content Skip to footer
Hindi
Gita Answers
Gita Answers
जब जीवन प्रश्न करता है, गीता समाधान देती है

मुख्य नेविगेशन

  • मुख्य पृष्ठ

अपना संदेह पूछें… गीता राह दिखाएगी

मैं अपने अतीत की गलतियों को मुझे पर हावी होने से कैसे रोकूं?

पग चिन्ह

  • मुख्य पृष्ठ
  • मैं अपने अतीत की गलतियों को मुझे पर हावी होने से कैसे रोकूं?

मैं अपने अतीत की गलतियों को मुझे पर हावी होने से कैसे रोकूं?

अतीत के साये से निकलने का पहला कदम
साधक, यह समझना बहुत जरूरी है कि हम सबके जीवन में अतीत की गलतियाँ होती हैं। वे हमारे अनुभव का हिस्सा हैं, लेकिन वे हमें परिभाषित नहीं करतीं। जब अतीत की गलती हमें घेर ले, तो यह सोचो कि क्या तुम उस समय के तुमसे आज के तुम तक की यात्रा को देख रहे हो? हर गलती के पीछे एक सीख छिपी होती है, और हर आघात के बाद एक नई शुरुआत संभव है।

🕉️ शाश्वत श्लोक

"अतीतानि च भूतानि मां तानि स्मर नमस्कुरु।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥"

(भगवद् गीता, अध्याय ११, श्लोक ३२)
हिंदी अनुवाद:
"जो भूतकाल की सारी गलतियाँ और पाप हैं, उन्हें मुझे स्मरण कर नमस्कार करो। मैं तुम्हें उन सब पापों से मुक्त कर दूंगा, इसलिए शोक मत करो।"
सरल व्याख्या:
भगवान कृष्ण कहते हैं कि तुम्हारे अतीत की गलतियाँ और पाप मुझे याद दिलाओ, मैं उन्हें तुम्हारे लिए दूर कर दूंगा। इसलिए अपने अतीत के बोझ से घबराओ मत, क्योंकि मोक्ष और शांति तुम्हारे लिए संभव है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. स्वीकारोक्ति से शुरुआत: अपने अतीत को छुपाने या उससे भागने की बजाय उसे स्वीकारो। यही पहला कदम है मुक्ति की ओर।
  2. कर्म का फल छोड़ दो: जो हुआ, वह बीत चुका। अब कर्म करो पर फल की चिंता मत करो।
  3. अहंकार से मुक्त रहो: गलतियों को अपने अस्तित्व का हिस्सा न समझो, वे केवल अनुभव हैं।
  4. धैर्य और संयम: मन को नियंत्रित करना सीखो, ताकि पछतावे की आग तुम्हें जलाए नहीं।
  5. भगवान पर विश्वास रखो: ईश्वर की कृपा से मन की शांति संभव है, जो अतीत के बोझ को हल्का कर देती है।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारा मन बार-बार उन गलती भरे पलों को दोहरा रहा है, और हर बार वह तुम्हें दोषी महसूस करवा रहा है। "मैंने ऐसा क्यों किया?", "मैं बेहतर क्यों नहीं था?" ये सवाल तुम्हारे मन को बेचैन करते हैं। पर याद रखो, यह आत्म-दोष तुम्हें कमजोर बनाता है, न कि मजबूत। अपने मन को यह समझाओ कि तुम दोषी नहीं, बल्कि सीखने वाले हो।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, तुम्हारे अतीत की गलती मुझे भी ज्ञात है। पर क्या तुम सोचते हो कि मैं तुम्हें उसी में फंसने के लिए आया हूँ? नहीं! मैं तुम्हें सशक्त बनाने आया हूँ। उठो, अपने कर्मों में निष्ठा रखो, और मुझ पर भरोसा करो। मैं तुम्हारे हर पाप को धो दूंगा, बस तुम अपने मन को मुझसे जोड़ो।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक छात्र ने परीक्षा में बड़ी गलती की। वह खुद को दोषी मानकर दुखी रहने लगा। उसके गुरु ने उसे समझाया, "देखो, नदी में गिरा हुआ पत्थर नदी को नहीं रोकता, बल्कि उसे और भी सुंदर बहाव देता है। तुम्हारी गलती भी तुम्हारे जीवन की नदी में एक पत्थर है, जो तुम्हें और मजबूत बनाएगा।"
तुम्हारी गलतियाँ भी तुम्हें जीवन की नदी में आगे बढ़ने से नहीं रोकतीं, बल्कि तुम्हें नया रास्ता दिखाती हैं।

✨ आज का एक कदम

आज अपने मन के सामने बैठो और एक कागज पर अपनी एक गलती लिखो। फिर उसके सामने यह लिखो: "मैं उससे सीख रहा हूँ, वह मेरा भाग नहीं, मेरा अनुभव है। मैं आगे बढ़ता हूँ।" इसे पढ़ो और गहरी सांस लेकर मन को शांति दो।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने अतीत को केवल एक अनुभव के रूप में स्वीकार सकता हूँ, दोष के रूप में नहीं?
  • मैं आज क्या नया कर सकता हूँ जो मेरे अतीत को सुधारने का हिस्सा हो?

शांति की ओर एक कदम
याद रखो, अतीत की गलती तुम्हारा दुश्मन नहीं, तुम्हारा शिक्षक है। उसे अपने ऊपर हावी मत होने दो। हर दिन एक नया अवसर है, अपने मन को मुक्त करने का, और जीवन को नए सिरे से जीने का। मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हारे भीतर की शक्ति के साथ।
शुभकामनाएँ, साधक।
तुम अकेले नहीं हो।

Footer menu

  • संपर्क

Copyright © 2025 Gita Answers - All rights reserved

Gita Answers Gita Answers