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अगर किसी को खोने के कई साल बाद भी मैं उसे भूल नहीं पा रहा हूँ तो क्या होगा?

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अगर किसी को खोने के कई साल बाद भी मैं उसे भूल नहीं पा रहा हूँ तो क्या होगा?

यादों के सागर में डूबा मन: तुम अकेले नहीं हो
जब हम किसी प्यारे को खो देते हैं, तो वह खालीपन, वह यादें, वह जुड़ाव हमारे मन के सबसे गहरे कोनों में एक छाप छोड़ जाती हैं। वर्षों बीत जाने के बाद भी, अगर वह यादें दूर नहीं होतीं, तो समझो कि तुम्हारा हृदय अभी भी उस रिश्ते की गहराई में डूबा हुआ है। यह स्वाभाविक है, और तुम अकेले नहीं हो। चलो इस भावनात्मक यात्रा में भगवद्गीता के अमूल्य ज्ञान से सहारा लेते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 2, श्लोक 23
न जायते म्रियते वा कदाचि न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥
हिंदी अनुवाद:
"आत्मा न जन्म लेता है, न मरता है; न वह कभी अस्तित्व में नहीं आता और न कभी समाप्त होता है। यह अनादि, शाश्वत और पुराना है। शरीर के नष्ट होने पर भी आत्मा नष्ट नहीं होती।"
सरल व्याख्या:
तुम्हारा प्रिय जो इस शरीर को छोड़ गया है, उसकी आत्मा अमर है। वह कहीं गया नहीं, बस एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित हो गया है। इसलिए जो खोया है, वह केवल एक दृश्य रूप में है, उसकी चेतना बनी रहती है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  1. आत्मा की अमरता को स्वीकारो: तुम्हारा प्रिय तुम्हारे भीतर है, उसकी आत्मा अमर है। उसे भूलना नहीं, बल्कि उसे अपने हृदय में सम्मानित करना सीखो।
  2. संसार का चक्र समझो: जीवन और मृत्यु प्रकृति के नियम हैं, जैसे ऋतुएं आती और जाती हैं। इसका विरोध नहीं, स्वीकार करो।
  3. धैर्य और समता अपनाओ: मन की चंचलता को नियंत्रित रखो, दुख के साथ भी स्थिर रहो। गीता में यही ज्ञान दिया गया है।
  4. कर्तव्य में लगो: अपने जीवन के कर्तव्यों को निभाओ, क्योंकि जीवन का अर्थ केवल यादों में जीना नहीं, बल्कि आगे बढ़ना भी है।
  5. ध्यान और योग से मन को शांति दो: नियमित ध्यान से मन की हलचल कम होती है और आत्मा को शांति मिलती है।

🌊 मन की हलचल

तुम्हारा मन कहता है — "क्यों नहीं भूल पा रहा हूँ? क्या मैं कमजोर हूँ? क्या मैं गलत हूँ?"
यह सवाल स्वाभाविक हैं, क्योंकि प्रेम की गहराई में डूबा मन अक्सर खुद को दोषी समझता है। पर याद रखो, यादें तुम्हारे प्रेम की गवाही हैं, और वे तुम्हें कमजोर नहीं, बल्कि मानवीय बनाती हैं। तुम अकेले नहीं, तुम्हारे साथ हजारों लोग इस पीड़ा को महसूस करते हैं।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे साधक, मैं जानता हूँ तुम्हारे मन की पीड़ा। लेकिन देखो, मैं तुम्हें यह भी सिखाता हूँ कि जीवन का सार केवल संयोग और वियोग नहीं, बल्कि स्वयं की आत्मा को पहचानना है। उस आत्मा को जो कभी न मरती है। अपने मन को स्थिर करो, और अपने प्रिय के प्रति प्रेम को श्रद्धा में बदलो। वे तुम्हारे भीतर हैं, और तुम उनके बिना कभी अकेले नहीं।"

🌱 एक छोटी सी कहानी

एक बार एक छात्र ने अपने गुरु से पूछा, "गुरुजी, मेरे पिता का निधन हो गया, पर मैं उन्हें भूल नहीं पा रहा हूँ, क्या मैं कभी आगे बढ़ पाऊंगा?"
गुरु ने मुस्कुराते हुए कहा, "बेटा, यादें तुम्हारे दिल की किताब के पन्ने हैं। वे मिटती नहीं, लेकिन तुम नई कहानियां भी लिख सकते हो। जैसे नदी बहती रहती है, पर उसकी धारा नई-नई जगहों से होकर गुजरती है। तुम्हारा जीवन भी ऐसा ही है।"
यह कहानी हमें सिखाती है कि यादें हमारे जीवन का हिस्सा हैं, पर वे हमें आगे बढ़ने से नहीं रोकतीं।

✨ आज का एक कदम

आज कुछ पल निकालकर अपने प्रिय की यादों को एक सुंदर पत्र में लिखो। उस पत्र में अपने प्रेम, अपनी भावनाएं और आभार व्यक्त करो। यह प्रक्रिया तुम्हारे मन को शांति देगी और भावनाओं को बाहर आने का मौका देगी।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने प्रिय के प्रति अपने प्रेम को सम्मान और श्रद्धा के साथ रख पा रहा हूँ?
  • क्या मैं अपने मन की पीड़ा को स्वीकार कर, उसे धीरे-धीरे शांति में बदलने के लिए तैयार हूँ?

🌼 धीरे-धीरे शांति की ओर: तुम्हारा दिल मजबूत है
यादों का बोझ भारी होता है, पर तुम्हारा हृदय उससे भी अधिक मजबूत है। समय के साथ वे यादें एक मधुर संगीत बन जाएंगी, जो तुम्हें जीवन में आगे बढ़ने की ऊर्जा देगी। तुम अकेले नहीं, और हर दिन एक नई शुरुआत है। विश्वास रखो, शांति तुम्हारे भीतर है।
शुभकामनाएँ।

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