Skip to header Skip to main navigation Skip to main content Skip to footer
Hindi
Gita Answers
Gita Answers
जब जीवन प्रश्न करता है, गीता समाधान देती है

मुख्य नेविगेशन

  • मुख्य पृष्ठ

अपना संदेह पूछें… गीता राह दिखाएगी

क्या भक्ति भय को स्थायी रूप से समाप्त करने में मदद कर सकती है?

पग चिन्ह

  • मुख्य पृष्ठ
  • क्या भक्ति भय को स्थायी रूप से समाप्त करने में मदद कर सकती है?

क्या भक्ति भय को स्थायी रूप से समाप्त करने में मदद कर सकती है?

भय के बादल के बीच भक्ति की उजली किरण
साधक, जब मन भय और चिंता के जाल में फंस जाता है, तब लगता है जैसे आसमान पर काले बादल छा गए हों। पर क्या भक्ति, जो हमारे हृदय की सबसे कोमल धुन है, उस भय को हमेशा के लिए मिटा सकती है? आइए, भगवद गीता के अमूल्य शब्दों में इसका उत्तर खोजें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

अध्याय 12, श्लोक 15
अर्थ:
"जो मनुष्य किसी भी परिस्थिति में दूसरों से मित्रवत, दयालु, और भय रहित रहता है, वह मेरे भक्तों में प्रिय है।"
संस्कृत:
यस्मान्नोद्विजते लोको लोकान्नोद्विजते च यः।
हर्षामर्षभयोद्वेगैर्मुक्तो यः स च मे प्रियः॥

(गीता 12.15)
सरल व्याख्या:
जो व्यक्ति अपने मन और व्यवहार से न तो दूसरों को कष्ट पहुंचाता है और न ही स्वयं भयभीत रहता है, वह सच्चा भक्त है। भक्ति से मन में स्थिरता आती है, जिससे भय अपने आप कम हो जाता है।

🪬 गीता की दृष्टि से मार्गदर्शन

  • भक्ति से मन में स्थिरता आती है: जब मन भगवान के नाम और रूप में डूब जाता है, तो भय की जड़ कमजोर पड़ती है।
  • अहंकार का त्याग: भय अक्सर अहंकार और असुरक्षा से जन्मता है; भक्ति अहंकार को कम करती है।
  • सर्वत्र भगवान का सान्निध्य: जब हम हर परिस्थिति में भगवान की उपस्थिति को महसूस करते हैं, तो भय कम हो जाता है।
  • संकट में धैर्य और विश्वास: भक्ति से संकटों को स्वीकारने और धैर्य रखने की शक्ति मिलती है।
  • अंतर्नाद की शांति: भक्ति से मन का अंतर्नाद शांत होता है, जिससे भय की आवाज़ दब जाती है।

🌊 मन की हलचल

"मेरा मन बार-बार डरता है, क्या मैं कभी इस भय से मुक्त हो पाऊंगा? भक्ति से तो दिल को सुकून मिलता है, पर क्या वह भय को हमेशा के लिए दूर कर सकती है?"
ऐसे विचार स्वाभाविक हैं। भय का मतलब है कि मन अस्थिर है, और भक्ति उस अस्थिरता को स्थिरता में बदलने का मार्ग है। यह एक प्रक्रिया है, एक यात्रा है — न कि एक पल में पूरी तरह से खत्म होने वाली घटना।

📿 कृष्ण क्या कहेंगे...

"हे प्रिय, भय को मिटाना मेरा वचन है। जब तुम मुझमें आस्था रखोगे, तो मैं तुम्हारे मन के सारे अंधकार दूर कर दूंगा। भय तुम्हारे मन की माया है, और भक्ति उस माया को छिन्न-भिन्न कर देती है। मेरे नाम का जप करो, मुझ पर विश्वास रखो, मैं तुम्हारे साथ हूँ।"

🌱 एक छोटी सी कहानी / उपमा

एक बार एक छोटे से गाँव में एक बच्चा था जो अंधेरे से बहुत डरता था। उसकी माँ ने उसे एक दीपक दिया और कहा, "जब भी डर लगे, इस दीपक को जलाओ।" दीपक की रोशनी ने धीरे-धीरे बच्चे के मन से अंधकार और भय को दूर किया। भक्ति भी वैसा ही दीपक है जो मन के अंधकार को मिटाकर प्रकाश फैलाती है।

✨ आज का एक कदम

आज अपने दिन में कम से कम पाँच मिनट भगवान के नाम का स्मरण करें। जब भी भय महसूस हो, गहरी सांस लें और मन में उनका नाम दोहराएं। यह छोटी सी साधना धीरे-धीरे भय को कम करेगी।

🧘 भीतर झांके कुछ क्षण

  • क्या मैं अपने भय को स्वीकार कर सकता हूँ, या मैं उससे भागता हूँ?
  • क्या मुझे विश्वास है कि भक्ति के माध्यम से मेरा मन स्थिर हो सकता है?

भक्ति के प्रकाश में भय की छाया मिटेगी
तुम अकेले नहीं हो, भय मन का स्वाभाविक हिस्सा है, पर भक्ति वह अमृत है जो उसे स्थायी रूप से समाप्त कर सकती है। अपने हृदय को खोलो, विश्वास रखो और इस दिव्य यात्रा में कदम बढ़ाओ। मैं तुम्हारे साथ हूँ।
शुभकामनाएँ।
— तुम्हारा आत्मीय गुरु

Footer menu

  • संपर्क

Copyright © 2025 Gita Answers - All rights reserved

Gita Answers Gita Answers