चिंता के बादल छंटेंगे — गीता के संग शांति की खोज
साधक, जब मन पैनिक अटैक्स और चिंता के तूफान से घिरा होता है, तब ऐसा लगता है जैसे सांसें थम सी गई हों, और हर पल भय की लहरें उठ रही हों। तुम अकेले नहीं हो। हजारों वर्षों से मनुष्य इसी द्वंद्व से जूझता आ रहा है। भगवद गीता इस अंधकार में एक प्रकाशस्तंभ है, जो हमें बताती है कि कैसे भीतर की उथल-पुथल को शांत किया जा सकता है।
🕉️ शाश्वत श्लोक
योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥
(भगवद गीता 2.48)