डर: तुम्हारे मन का मेहमान या जीवन का साथी?
साधक, जब डर की बात आती है, तो यह समझना ज़रूरी है कि डर न तो पूरी तरह से बाहरी है, न ही केवल तुम्हारे मन की बनाई हुई कहानी। यह एक जटिल अनुभूति है, जो कभी-कभी हमारी सुरक्षा का संदेश देती है, और कभी-कभी अनावश्यक चिंता का रूप ले लेती है। आइए, भगवद गीता की दिव्य दृष्टि से इस उलझन को सुलझाते हैं।