avoidance

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

अपने कर्तव्य और अंतर्ज्ञान के बीच: एक आत्मीय संवाद
साधक, यह प्रश्न तुम्हारे जीवन की गहराई से जुड़ा है — जब मन उलझन में हो कि क्या मैं अपने धर्म से दूर हो रहा हूँ या अपने अंतर्मन की आवाज़ सुन रहा हूँ। यह भ्रम बहुत सामान्य है, क्योंकि जीवन के रास्ते कभी स्पष्ट नहीं होते। परंतु याद रखो, तुम अकेले नहीं हो; हर खोजी मन इसी द्वंद्व से गुजरता है।

डर के साये में भी तुम अकेले नहीं हो
प्रिय शिष्य, जब डर हमारे मन में घर कर जाता है, तो उसे नजरअंदाज करना स्वाभाविक लगता है। पर क्या डर को दबाना या अनदेखा करना सही उपाय है? आइए भगवद गीता के प्रकाश में इस उलझन को समझते हैं।