ईर्ष्या से प्रेरणा की ओर: एक नई शुरुआत
साधक, यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि ईर्ष्या एक मानवीय भावना है, जो अक्सर हमारे मन में असुरक्षा और तुलना से जन्म लेती है। तुम अकेले नहीं हो, हर कोई कभी न कभी इस भाव से जूझता है। परंतु, इसे अपने भीतर की ऊर्जा में बदलना संभव है। आइए, भगवद गीता के अमृत शब्दों से इस उलझन को सुलझाते हैं।