pride

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

अहंकार के आवरण से निकलने की ओर पहला कदम
साधक, तुम उस अनमोल सत्य की खोज में हो जो तुम्हें भीतर से मुक्त कर सके। अहंकार और झूठी पहचान की जंजीरों से मुक्त होना कठिन लगता है, पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर मानव इस यात्रा में उलझता है, पर गीता का प्रकाश तुम्हारे लिए राह दिखाता है।

भक्ति: अहंकार की दीवारों को तोड़ने का मधुर संगीत
साधक, जब भक्ति की मधुर धारा हमारे हृदय में प्रवाहित होती है, तो गर्व और अहंकार की कठोर दीवारें धीरे-धीरे भस्म हो जाती हैं। तुम अकेले नहीं हो इस संघर्ष में, क्योंकि हर भक्त के मन में कभी न कभी ये उलझनें आती हैं। आइए, हम श्रीमद्भगवद्गीता के प्रकाश में इस प्रश्न का समाधान खोजें।

अहंकार के अंधकार से प्रकाश की ओर — तुम अकेले नहीं हो
साधक, यह समझना बहुत जरूरी है कि अहंकार और गर्व हमारे मन के ऐसे बादल हैं जो हमें अपनी सच्चाई से दूर कर देते हैं। जब हम अपने आप को दूसरों से बड़ा समझने लगते हैं, तब भीतर का संतुलन टूटता है और मन अशांत हो जाता है। यह भाव तुम्हारे भीतर भी कहीं न कहीं उठ रहा है, और यह ठीक है। क्योंकि हर मानव जीवन में अहंकार की परीक्षा आती है। आइए, गीता के प्रकाश में इस उलझन को समझते हैं।