envy

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

ईर्ष्या और द्वेष के सागर में एक दीपक की लौ
साधक, जब मन में ईर्ष्या और द्वेष की लहरें उठती हैं, तब आत्मा की शांति खो जाती है। यह भाव हमें भीतर से कमजोर कर देते हैं, और हमारा जीवन विषम हो जाता है। परन्तु भगवद गीता में ऐसे अमृतमयी उपदेश हैं, जो हमें इन विषैले भावों से मुक्त कर, प्रेम और समरसता की ओर ले जाते हैं। आइए, इस मार्ग पर चलें।

जलन की आग में शांति की ज्योति जलाएं
प्रिय मित्र, जब हम अपने किसी दोस्त की सफलता देखकर मन में जलन की भावना उठती है, तो यह हमारे भीतर छुपी असुरक्षा और तुलना की जड़ को दर्शाता है। यह अनुभव सामान्य है, और इससे भागना नहीं, बल्कि समझना और पार करना ज़रूरी है। तुम अकेले नहीं हो, यह यात्रा हम सब करते हैं। आइए, गीता के प्रकाश में इस उलझन को सुलझाएं।

ईर्ष्या की छाया से निकलो: पेशेवर जीवन में आत्मविश्वास की ओर
साधक,
पेशेवर दुनिया में ईर्ष्या एक सामान्य मानवीय भावना है, लेकिन जब यह हमारे मन में घुलने लगे तो यह हमारे विकास और शांति का मार्ग अवरुद्ध कर सकती है। यह समझना जरूरी है कि ईर्ष्या हमारे अंदर की असुरक्षा और तुलना की भावना से जन्म लेती है। आइए, भगवद गीता की अमृतवाणी से इस उलझन का समाधान खोजें।

ईर्ष्या की परतें खोलो, आत्मा की शांति पाओ
साधक, जब भी तुम्हारे मन में किसी के प्रति ईर्ष्या या तुलना की भावना उठती है, समझो कि यह तुम्हारे भीतर की अनचाही बेचैनी की आवाज़ है। यह आवाज़ तुम्हें खुद से दूर ले जाती है, जबकि तुम्हारा असली सार तुम्हारे भीतर ही छुपा है। चलो, मिलकर उस आवाज़ को पहचानें और उसे प्रेम और समझ से बदलें।

तुम अकेले नहीं हो: तुलना की जंजीरों से मुक्त होने का मार्ग
साधक,
तुम्हारे मन में जो तुलना की आग जल रही है, वह हम सभी के भीतर कभी न कभी उमड़ती है। यह स्वाभाविक है, परंतु इसे पहचानकर, समझकर और भगवद गीता की दिव्य शिक्षाओं से स्वयं को सशक्त बनाकर, तुम इस जंजीर को तोड़ सकते हो। चलो, इस यात्रा को साथ मिलकर शुरू करते हैं।