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Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

क्रोध और घृणा के बोझ में फंसे मत रहो
साधक, जब मन में क्रोध और घृणा के बादल छाए हों, तो यह समझना ज़रूरी है कि ये भाव हमारे कर्मों के बीज हैं, जो भविष्य में हमें अपने ही किए का फल देते हैं। तुम अकेले नहीं हो, हर इंसान के मन में कभी न कभी ये भाव आते हैं, लेकिन गीता हमें सिखाती है कि इन भावों को समझदारी से कैसे संभालना है।

🌿 आवेग की आग में शांति का दीप जलाना
साधक, जब मन तनाव और बेचैनी से घिरा हो, तब आवेग से प्रतिक्रिया देना स्वाभाविक लगता है। परन्तु याद रखो, आवेग के पल में दिया गया उत्तर अक्सर पश्चाताप का कारण बनता है। तुम अकेले नहीं हो इस संघर्ष में। आइए, गीता के अमृतमयी शब्दों से इस उलझन का समाधान खोजें।

शांति की ओर पहला कदम: गुस्से के तूफान में एक दीपक
साधक, मैं समझता हूँ कि बार-बार गुस्सा आना तुम्हारे मन को बेचैन और थका देता होगा। यह एक ऐसी आग है जो भीतर जलती रहती है और कभी-कभी हमें खुद से भी लड़ने पर मजबूर कर देती है। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। भगवद गीता ने भी इसी मनोस्थिति से जूझते हुए हमें मार्ग दिखाया है। चलो, इस गुस्से के बादल को समझने और उसे पार करने का रास्ता गीता के प्रकाश में खोजते हैं।