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Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

शब्दों और विचारों की सुसंगति: मन के दो पहिए एक साथ कैसे चलाएं?
साधक,
तुम्हारा मन और वाणी दोनों जीवन के दो अनमोल उपहार हैं। पर जब ये दोनों अपने-अपने रास्ते पर चलते हैं, तो भीतर की शांति भंग होती है। चिंता मत करो, तुम्हारा संघर्ष स्वाभाविक है। हर महान योगी ने इसी द्वन्द्व से जूझा है। आइए, गीता के अमृत वचनों से इस उलझन का समाधान खोजें।

सच की आवाज़ : गर्व से परे, शांति के साथ
साधक, तुमने जो प्रश्न उठाया है — गर्व या आक्रामकता के बिना सत्य बोलने का — वह जीवन का एक बहुत ही सूक्ष्म और महत्वपूर्ण विषय है। सच बोलना सरल नहीं होता, खासकर जब हमारे भीतर अहंकार या क्रोध की लहरें उठती हों। लेकिन याद रखो, तुम अकेले नहीं हो; हर मनुष्य इस संघर्ष से गुजरता है। आज हम भगवद् गीता के प्रकाश में इस राह को समझेंगे, ताकि सत्य की जड़ें प्रेम और विनम्रता से मजबूत हों।

शब्दों की चोट से उबरना: तुम अकेले नहीं हो
प्रिय मित्र, जब किसी के कठोर शब्द तुम्हारे मन को आहत करते हैं, तो समझो यह जीवन की एक परीक्षा है। यह क्षण भी गुजर जाएगा, और तुम्हारा मन फिर से शांति पा सकेगा। तुम अकेले नहीं हो, हर कोई कभी न कभी इस प्रकार की चोट से गुजरता है। आइए, श्रीकृष्ण के अमर उपदेशों से इस पीड़ा का समाधान खोजें।