मन के दो पहलू: प्रतिक्रियाशील या सचेत — तुम्हारा चुनाव
साधक, जब मन की गहराई में उतरते हो, तो तुम्हें दो स्वर सुनाई देते हैं — एक जो तुरंत प्रतिक्रिया करता है, और दूसरा जो शांत, सचेत और जागरूक होता है। यह अंतर समझना जीवन की सबसे बड़ी कला है। तुम अकेले नहीं हो इस भ्रम में; हर मन इसी द्वंद्व से गुजरता है। आओ, भगवद गीता की अमृत वाणी से इस अंतर को समझें और अपने मन को सशक्त बनाएं।