फिर से खिल उठे आत्म-सम्मान के फूल
साधक, जीवन में असफलता और अपमान के बाद जो मन टूटता है, वह बिलकुल स्वाभाविक है। तुम अकेले नहीं हो। हर महान व्यक्ति ने अपने जीवन में ऐसे क्षण देखे हैं जब आत्म-सम्मान डगमगाया, पर उन्होंने हार नहीं मानी। चलो, गीता के अमृत शब्दों से उस शक्ति को खोजते हैं जो तुम्हें फिर से उठने और चमकने का साहस देगी।