विषाक्त रिश्तों की जंजीरों से आज़ादी की ओर कदम
प्रिय शिष्य, जब हमारे अपने रिश्ते हमें अंदर से जकड़ लेते हैं, तो यह बहुत भारी और दर्दनाक अनुभव होता है। परिवार वह जगह होती है जहाँ हम सबसे अधिक प्यार और सुरक्षा की उम्मीद करते हैं, लेकिन जब वही रिश्ते विषाक्त हो जाते हैं, तो आत्मा पर बोझ बन जाते हैं। तुम अकेले नहीं हो। यह समझना पहला कदम है कि तुम्हारा दर्द वैध है और उससे निपटना संभव है। चलो, भगवद गीता के दिव्य प्रकाश में इस जंजीर को तोड़ने का रास्ता खोजते हैं।