प्रतिस्पर्धा के बंधन से मुक्त हो — अपनी राह पर चलो
साधक, जब हम दूसरों से अपने आप की तुलना करते हैं, तो मन एक अनजानी दौड़ में फंस जाता है। ईर्ष्या, चिंता और असुरक्षा के बादल घिर आते हैं। लेकिन याद रखो, हर आत्मा की अपनी अलग यात्रा है। कृष्ण ने हमें सिखाया है कि बाहरी प्रतिस्पर्धा से ऊपर उठकर अपने कर्मों पर ध्यान देना ही सच्ची मुक्ति है।