self-esteem

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Karma Cycles & Life Challenges

तुम अकेले नहीं हो: आत्म-संदेह की गहराई में एक दीप जलाएं
प्रिय युवा मित्र, जब तुम्हारे मन में शारीरिक छवि को लेकर या अपने आप पर संदेह की छाया गहरी हो, तो समझो कि यह एक सामान्य मानवीय अनुभव है। तुम्हारा यह संघर्ष तुम्हें अकेला नहीं करता, बल्कि तुम्हें स्वयं की खोज की ओर ले जाता है। आइए, गीता के प्रकाश में इस अंधकार को दूर करें।

तुम अकेले नहीं हो — आत्मविश्वास की लौ जलाना
साधक, जब मन अधीनता और असहजता से भर जाता है, तब आत्मविश्वास खोना स्वाभाविक है। पर याद रखो, यह क्षणिक है। तुम्हारे भीतर एक अपार शक्ति छिपी है, जो तुम्हें फिर से उठने और चमकने का साहस देगी। चलो, भगवद गीता के अमृत श्लोकों से उस शक्ति को पहचानते हैं।

डर को समझो, निर्णय को अपनाओ
साधक, जीवन में निर्णय लेना और अस्वीकृति का डर होना स्वाभाविक है। यह तुम्हारे मन की गहराइयों से उठने वाली वे भावनाएँ हैं जो तुम्हारी सुरक्षा और सफलता दोनों की चिंता करती हैं। परन्तु याद रखो, यह डर तुम्हारा शत्रु नहीं, बल्कि तुम्हारा शिक्षक है। चलो मिलकर इस भय को समझें और उसे पार करें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

संकल्प और भय पर गीता का प्रकाश

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

— भगवद्गीता, अध्याय 2, श्लोक 47

विनम्रता: आत्मसम्मान के साथ एक कोमलता की कला
साधक,
तुम्हारा यह प्रश्न बहुत गहरा है। विनम्रता का अर्थ कभी भी खुद को कमतर समझना नहीं होता, बल्कि यह अपने भीतर की शक्ति और सीमाओं को समझकर, बिना अहंकार के, दूसरों के प्रति सम्मान और प्रेम का भाव रखना है। तुम अकेले नहीं हो, हर मनुष्य के भीतर यह संघर्ष होता है — कैसे खुद को महत्व दें और साथ ही नम्रता भी बनाए रखें। चलो, इस यात्रा को भगवद गीता के प्रकाश में समझते हैं।