दर्द में छिपा उजाला: कष्ट और पीड़ा में अर्थ की खोज
साधक, जब जीवन में कष्ट और पीड़ा आते हैं, तो वे हमें डगमगाते हैं, हमें असहाय महसूस कराते हैं। पर क्या ये केवल अंधकार ही हैं? या इनके पीछे कोई गहरा अर्थ छिपा है, जो हमारी आत्मा को निखारता है? चलिए, गीता की अमूल्य शिक्षाओं के साथ इस प्रश्न का उत्तर ढूंढ़ते हैं।
🕉️ शाश्वत श्लोक
श्लोक:
"दुःखेष्वनुद्विग्नमना: सुखेषु विगतस्पृह: |
वीतरागभयक्रोध: स्थितधीर्मुनिरुच्यते ||"
— भगवद्गीता 2.56