consequences

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

खोई हुई पहचान: जब आत्मा की आभा छिप जाती है
साधक, यह बहुत स्वाभाविक है कि जीवन की भागदौड़, सामाजिक अपेक्षाएं, और मन की उलझनों में हम अपनी सच्ची पहचान से दूर हो जाते हैं। तुम्हारे भीतर जो दिव्य प्रकाश है, वह जब धुंधलाने लगता है, तो मन अस्थिर और भ्रमित हो जाता है। लेकिन याद रखो, तुम अकेले नहीं हो; हर व्यक्ति कभी न कभी इस भ्रम के अंधकार में खोया है। चलो, मिलकर इस गूढ़ प्रश्न का उत्तर भगवद गीता की अमृत वाणी से खोजते हैं।

अहंकार के जाल में फंसे मन की पुकार
साधक, जब अहंकार हमारे निर्णयों को नियंत्रित करता है, तो हम स्वयं के भीतर की शांति से दूर हो जाते हैं। यह अहंकार हमें भ्रमित करता है, हमारे मन को घमंड और क्रोध की आग से जलाता है, और हमें सही मार्ग से भटका देता है। परन्तु याद रखो, तुम अकेले नहीं हो; हर मानव के मन में कभी न कभी यह संघर्ष होता है। आइए, हम गीता के दिव्य प्रकाश में इस उलझन को समझें।