अहंकार की जंजीरों से मुक्ति: गीता का अनमोल उपहार
प्रिय शिष्य, यह प्रश्न तुम्हारे भीतर की गहराई को छूता है। अहंकार, वह सूक्ष्म आग है जो कभी-कभी हमारे मन को जलाती है, परंतु चिंता मत करो, तुम अकेले नहीं हो। भगवद गीता ने हजारों वर्षों से उस आग को बुझाने का रास्ता बताया है। आइए, मिलकर उस मार्ग पर चलें।
🕉️ शाश्वत श्लोक
अध्याय 16, श्लोक 3
(असुरीय सम्पदः)
अहंकारं बलं दर्पं कामं क्रोधं तथा तथा।
मदं मदात्मानमाहं मां चाभिजाति पाण्डव॥