प्रेम का मुक्त सागर: बिना भय के दिल खोलकर प्यार करना
साधक, प्यार की दुनिया में कदम रखना कभी-कभी एक साहसिक यात्रा जैसा होता है। जब हम प्यार करते हैं, तो डर भी हमारे साथ चलता है—डर कि कहीं हमारा दिल टूट न जाए, कहीं हमें नुकसान न हो। यह स्वाभाविक है, क्योंकि हमारा मन अपनी सुरक्षा चाहता है। परंतु भगवद गीता हमें सिखाती है कि सच्चा प्रेम तब संभव है जब हम अपने भय को समझें, उसे स्वीकार करें और उससे ऊपर उठें। आइए, इस दिव्य ज्ञान के प्रकाश में देखें कि बिना नुकसान के डर के शुद्ध रूप से प्यार कैसे किया जा सकता है।