विषैले कार्यस्थल में शालीनता का दीप जलाएं
साधक, जब हम अपने कर्मस्थल पर विषैले वातावरण का सामना करते हैं, तब मन में अनेक भाव उमड़ते हैं — निराशा, क्रोध, भय, और कभी-कभी हार भी। यह समझना आवश्यक है कि तुम अकेले नहीं हो, हर व्यक्ति जीवन में कभी न कभी ऐसे कठिन समय से गुजरता है। शालीनता और धैर्य के साथ इस परिस्थिति का सामना करना एक महान साधना है, जो तुम्हें आंतरिक शक्ति और शांति की ओर ले जाएगा।
🕉️ शाश्वत श्लोक
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
(भगवद्गीता 2.47)