desire

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

आसक्ति और इच्छा की जंजीरों से मुक्त होने का पहला कदम
साधक, जब मन इच्छाओं और आसक्तियों के जाल में उलझ जाता है, तो आत्मा की शांति दूर हो जाती है। तुम अकेले नहीं हो; हर व्यक्ति की यात्रा में ये प्रश्न आते हैं। भगवद्गीता तुम्हें बताती है कि कैसे इन जंजालों से मुक्त हो कर, सच्ची आज़ादी और आनंद पाया जा सकता है।

सफलता की चाह में खोया नहीं जाना — एक प्रेमपूर्ण संवाद
प्रिय युवा मित्र,
तुम्हारे मन में जो सफलता और पहचान की इच्छा है, वह स्वाभाविक है। यह तुम्हारे भीतर की ऊर्जा का एक स्वरूप है जो तुम्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। पर क्या यह इच्छा गलत है? आइए, गीता के प्रकाश में इस प्रश्न का उत्तर खोजें।

दिल की उलझनों में दीप जलाएं: संबंधों में दुख का रहस्य समझें
जब हम अपने रिश्तों में दुख महसूस करते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे कोई अंदर से टूट रहा हो। यह भावनाएँ बहुत गहरी होती हैं, और अक्सर हम समझ नहीं पाते कि ये क्यों आती हैं। इस उलझन में तुम अकेले नहीं हो। भगवद गीता में इस विषय का गहरा और सरल समाधान मिलता है, जो तुम्हारे मन को शांति दे सकता है।

मन की इच्छाओं पर विजय: चलो साथ मिलकर सम्हालें ये तूफान
साधक, मन की इच्छाएँ कभी-कभी ऐसी होती हैं जैसे अनियंत्रित समुद्र की लहरें—वे हमें बहा ले जाती हैं, हमें अस्थिर करती हैं। पर याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर मानव के मन में ये इच्छाएँ होती हैं, और भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने इस मन को वश में करने का मार्ग बताया है। चलो, इस दिव्य ज्ञान की ओर कदम बढ़ाते हैं।

प्रेम और दोस्ती की गहराई में इच्छाओं का सच
प्रिय मित्र, जब हम प्रेम और दोस्ती की बात करते हैं, तो हमारे मन में अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या उन रिश्तों में इच्छाएँ रखना सही है या नहीं। यह उलझन बहुत स्वाभाविक है। चलिए, श्रीमद्भगवद्गीता के अमृतमय शब्दों से इस प्रश्न की गहराई में उतरते हैं।