emotional strength

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Karma Cycles & Life Challenges

भीतर के अंधकार में दीप जलाना: जब भावनाएँ भारी हों
साधक, जब भावनाएँ भारी और मन उदास लगे, तब यह समझना अत्यंत आवश्यक है कि तुम अकेले नहीं हो। हर मनुष्य के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब अंधकार घेर लेता है। परंतु याद रखो, उस अंधकार के भीतर भी एक प्रकाश छुपा होता है — वह है तुम्हारी आंतरिक शक्ति। आइए, गीता के दिव्य प्रकाश से उस शक्ति को जागृत करते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

श्लोक:

“मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु |
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे ||”

— भगवद्गीता, अध्याय 9, श्लोक 34

तूफानों के बीच भी तू शांत रह सकता है
साधक, जब जीवन की दुनिया अस्थिर और अनिश्चित लगने लगे, तब मन घबराता है, चिंता बढ़ती है, और संतुलन खो जाता है। यह अनुभव मानव जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है। पर याद रखो, अस्थिरता के बीच भी एक ऐसी शक्ति है जो तुम्हें स्थिर, शांत और संतुलित रख सकती है। आइए, भगवद गीता की अमूल्य शिक्षाओं से उस शक्ति को खोजें।

तू अकेला नहीं, यही तो जीवन का संग्राम है
साधक, जब जीवन की कठिनाइयाँ घेरती हैं, तब मन भीतर से हिलने लगता है, भावनाएँ तूफान की तरह उठती हैं। यह स्वाभाविक है। परन्तु याद रखो, गीता हमें सिखाती है कि स्थिरता और शांति की जड़ भीतर ही है। हम देखेंगे कैसे उस शाश्वत ज्ञान से अपने मन को स्थिर रख सकते हैं।

भावनाओं के तूफान में भी स्थिर रहना — कठिन रिश्तों का सुकून
प्रिय मित्र, जब रिश्तों में कठिनाइयाँ आएं, तब मन अक्सर अशांत हो उठता है। यह स्वाभाविक है कि हम भावनात्मक रूप से टूटने का डर महसूस करें। लेकिन याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर रिश्ते में संघर्ष होते हैं, और उससे पार पाना भी संभव है। आइए, गीता के अमृतमय श्लोकों से उस शक्ति को खोजें जो तुम्हें अंदर से मजबूत बनाए।