भीतर के अंधकार में दीप जलाना: जब भावनाएँ भारी हों
साधक, जब भावनाएँ भारी और मन उदास लगे, तब यह समझना अत्यंत आवश्यक है कि तुम अकेले नहीं हो। हर मनुष्य के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब अंधकार घेर लेता है। परंतु याद रखो, उस अंधकार के भीतर भी एक प्रकाश छुपा होता है — वह है तुम्हारी आंतरिक शक्ति। आइए, गीता के दिव्य प्रकाश से उस शक्ति को जागृत करते हैं।
🕉️ शाश्वत श्लोक
श्लोक:
“मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु |
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे ||”
— भगवद्गीता, अध्याय 9, श्लोक 34