बोलने की कला में आत्मविश्वास: तुम्हारे भीतर छुपा है प्रकाश
प्रिय युवा मित्र,
सार्वजनिक बोलना या प्रस्तुतियाँ देना कई बार हमारे मन में भय और असमर्थता की भावना लाता है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि हम अपने विचारों को दूसरों के सामने खुलकर व्यक्त करने में संकोच करते हैं। लेकिन याद रखो, तुम्हारे भीतर एक अनमोल शक्ति है — वह आत्मविश्वास, जो गीता के ज्ञान से जागृत हो सकता है। चलो, इस यात्रा की शुरुआत करते हैं।