अपनी आत्मा की स्वतंत्रता — शादी में भी
प्रिय स्नेही शिष्य,
शादी एक सुंदर बंधन है, जहाँ दो आत्माएँ एक-दूसरे के साथ जीवन के सफर पर चलती हैं। परन्तु यह भी सच है कि कभी-कभी हम अपने साथी के साथ इतने जुड़ जाते हैं कि अपनी भावनात्मक स्वतंत्रता खो देते हैं। यह उलझन और बेचैनी स्वाभाविक है, और तुम अकेले नहीं हो। चलो, गीता के अमृत शब्दों से इस भावनात्मक जाल से बाहर निकलने का रास्ता खोजते हैं।