रिश्तों की डोर में स्वामित्व का जाल: चलो समझें कृष्ण की दृष्टि
साधक,
रिश्ते हमारे जीवन की सबसे खूबसूरत परतें हैं, लेकिन जब हम उनमें अत्यधिक स्वामित्व की भावना लेकर उलझ जाते हैं, तो वे प्रेम की जगह बंधन बन जाते हैं। तुम्हारा यह प्रश्न बहुत गहन है, क्योंकि स्वामित्व और प्रेम के बीच की रेखा अक्सर धुंधली हो जाती है। आइए, कृष्ण के शब्दों के माध्यम से इस उलझन को सुलझाएं।