डर की बेड़ियाँ तोड़ो: कर्म से भागना समाधान नहीं
साधक, जब हम कर्म के भय से घिरे होते हैं, तब हमारा मन थम सा जाता है। यह डर हमें आगे बढ़ने से रोकता है, हमारी ऊर्जा को जकड़ लेता है। पर याद रखो, कर्म का डर तुम्हारा मित्र नहीं, बल्कि तुम्हारा भ्रम है। इसे समझना और उसके पार जाना ही जीवन की सच्ची स्वतंत्रता है।