धर्म और आर्थिक असुरक्षा: क्या ये साथ-साथ चल सकते हैं?
साधक,
आर्थिक चिंता और धर्म के बीच की यह उलझन बहुत से मनों में होती है। यह सवाल स्वाभाविक है—क्या मेरा धर्म मुझे आर्थिक रूप से कमजोर कर सकता है? चलिए, गीता के अमृत श्लोकों से इस द्वंद्व को समझते हैं और जीवन में संतुलन पाते हैं।