काम में आध्यात्मिकता: कर्म को पूजा की तरह अपनाना
साधक, जब तुम काम को केवल एक बोझ या जिम्मेदारी के रूप में देखो, तो मन थक जाता है। पर जब वही काम तुम्हारे जीवन का साधन और साधन भी बन जाए, तो हर कर्म पूजा बन जाता है। चलो, इस यात्रा को गीता के प्रकाश में समझते हैं।