passion

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

फिर से जीवन से जुड़ने की राह: जब मन हो उदास और रुचि खो जाए
साधक, जब जीवन की चमक फीकी पड़ने लगे और हर रंग धुंधला सा लगे, तो यह समझना बेहद जरूरी है कि तुम अकेले नहीं हो। यह एक ऐसा दौर है, जो हर किसी के जीवन में कभी न कभी आता है। पर याद रखो, अंधकार के बाद ही प्रकाश की सबसे तेज़ किरणें जन्म लेती हैं। चलो, भगवद गीता के अमूल्य शब्दों से इस अंधकार में दीप जलाते हैं।

अपनी बुलाहट को पहचानने का स्नेहिल मार्ग
साधक, जब मन में यह प्रश्न उठता है कि "क्या गीता मेरी रुचि या बुलाहट खोजने में मेरी मदद कर सकती है?" तो जान लो, यह प्रश्न स्वयं तुम्हारे भीतर जागरूकता और आत्म-संदेह का सुंदर संकेत है। तुम अकेले नहीं हो, हर मानव जीवन में यही उलझन आती है कि मेरा धर्म, मेरा उद्देश्य क्या है? भगवद गीता इस यात्रा में तुम्हारी सबसे मधुर साथी बन सकती है।

उत्साह और विरक्ति — क्या वे साथ-साथ संभव हैं?
साधक,
तुम्हारे मन में एक गहरा सवाल है — क्या हम किसी चीज़ के प्रति उत्साह और प्रेम रखते हुए भी उससे अलग रह सकते हैं? यह प्रश्न जीवन के उस रहस्य को छूता है जो हमें भीतर से आज़ाद करता है। चलो, एक साथ इस सवाल की गहराई में उतरते हैं।

जुनून और कर्म: क्या पैसा ही सब कुछ है?
साधक, यह प्रश्न तुम्हारे मन की गहराई से निकली एक चिंता को दर्शाता है। जब हम अपने दिल की सुनते हैं, तो अक्सर राह में आर्थिक सुरक्षा का डर भी साथ चलता है। यह एक स्वाभाविक द्वंद्व है — जुनून और जीविका के बीच का संतुलन। तुम अकेले नहीं हो, अनेक लोग इसी सवाल से जूझते हैं। चलो, इस उलझन को भगवद गीता की अमृत वाणी से समझते हैं।

जुनून और व्यावहारिकता: तुम्हारे दिल और दिमाग का संवाद
प्रिय मित्र, करियर के रास्ते पर जब जुनून और व्यावहारिकता के बीच द्वंद्व होता है, तो यह तुम्हारे भीतर गहरे संघर्ष की तरह होता है। मैं समझता हूँ कि यह समय कितना चुनौतीपूर्ण और उलझन भरा होता है। लेकिन याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर उस व्यक्ति ने यह सवाल पूछा है जो अपने जीवन में सफल और संतुष्ट होना चाहता है।

🕉️ शाश्वत श्लोक

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

(भगवद्गीता 2.47)