अपने कर्तव्य से भागना नहीं: कर्म का पथ है सफलता का मार्ग
साधक, जीवन में कभी-कभी ऐसा आता है जब हमारा मन अपने कर्तव्य से घृणा करने लगता है। काम बोरिंग लगने लगता है, जिम्मेदारी भारी लगती है, और मन कहीं और भटकना चाहता है। परंतु भगवद गीता हमें सिखाती है कि यही कर्तव्य हमारा सच्चा गुरु है, और इसे निभाना ही जीवन का सार है। चलिए, इस उलझन को गीता के प्रकाश में समझते हैं।