सफलता की राह में: गीता से महत्वाकांक्षा की सीख
प्रिय युवा मित्र,
तुम्हारे मन में सफलता की चाह और महत्वाकांक्षा की जो लौ जल रही है, वह जीवन के उजले पथ की शुरुआत है। परन्तु यह भी समझना ज़रूरी है कि सफलता का अर्थ केवल बाहरी उपलब्धि नहीं, बल्कि आंतरिक संतोष और संतुलन भी है। भगवद्गीता तुम्हें इस सफर में संतुलन और स्थिरता के साथ चलने का मार्ग दिखाती है। चलो, इस दिव्य ग्रंथ की गहराई से सीखें कि कैसे महत्वाकांक्षा को सही दिशा देनी है।