जब बाहर की खुशियाँ चमकती हैं, तो अपने भीतर की रोशनी कैसे जलाएँ?
साधक, जब हम देखते हैं कि सबके चेहरे पर खुशी की चमक है और हम अपने अंदर एक खालीपन या उदासी महसूस करते हैं, तो यह स्वाभाविक है कि मन में तुलना और ईर्ष्या की हलचल होती है। पर याद रखो, हर मन की खुशी की गहराई अलग होती है। भगवद गीता हमें सिखाती है कि सच्ची खुशी बाहरी परिस्थितियों से नहीं, हमारे अपने दृष्टिकोण और आत्मा की शांति से आती है।