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जब बाहर की खुशियाँ चमकती हैं, तो अपने भीतर की रोशनी कैसे जलाएँ?
साधक, जब हम देखते हैं कि सबके चेहरे पर खुशी की चमक है और हम अपने अंदर एक खालीपन या उदासी महसूस करते हैं, तो यह स्वाभाविक है कि मन में तुलना और ईर्ष्या की हलचल होती है। पर याद रखो, हर मन की खुशी की गहराई अलग होती है। भगवद गीता हमें सिखाती है कि सच्ची खुशी बाहरी परिस्थितियों से नहीं, हमारे अपने दृष्टिकोण और आत्मा की शांति से आती है।

असली खुशी की खोज: संपत्ति से परे एक जीवन
साधक,
तुम्हारा मन संपत्ति और बाहरी चीज़ों में खुशी खोजते हुए थक चुका है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि हमारे समाज ने हमें यही सिखाया है कि संपत्ति से ही जीवन की पूर्णता संभव है। परन्तु, आज मैं तुम्हें एक गहरा सत्य बताने जा रहा हूँ — सच्ची खुशी बाहरी वस्तुओं में नहीं, बल्कि हमारे भीतर की शांति और स्वतंत्रता में है।

🌟 आत्म-नियंत्रण: स्थायी सुख की कुंजी?
साधक, तुम्हारा मन इस प्रश्न से उलझा हुआ है कि क्या आत्म-नियंत्रण से स्थायी खुशी मिल सकती है। यह सवाल बहुत गहरा है, और इसका उत्तर भी गीता के अमृत वचनों में छिपा है। चलो, मिलकर इस रहस्य को समझते हैं।

अपने दिल और समाज के बीच: सही लक्ष्य चुनने का सफर
प्रिय मित्र,
तुम्हारे मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या अपने लिए जीना चाहिए या दूसरों के लिए? क्या अपने सपनों को पूरा करना सही है, या समाज की अपेक्षाओं पर खरा उतरना? यह द्वंद्व बहुतों के जीवन में आता है। आज हम भगवद गीता की अमूल्य शिक्षाओं से इस उलझन को समझने की कोशिश करेंगे।