रचनात्मकता और आध्यात्म का संगम — तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब मन में यह सवाल उठता है कि क्या मैं अपनी रचनात्मक प्रतिभा को निखारते हुए आध्यात्मिक जीवन भी जी सकता हूँ, तो यह वास्तव में एक गहन यात्रा का आरंभ होता है। इस द्वंद्व में उलझना स्वाभाविक है, क्योंकि एक ओर हमारे सपने और काम हैं, तो दूसरी ओर आत्मा की शांति और परम सत्य की खोज। यह संभव है, और भगवद गीता हमें इसका मार्ग दिखाती है।