दिल की धूल हटाकर: पुनर्निर्माण की ओर पहला कदम
प्रिय आत्मा, तुम्हारे भीतर जो पछतावा और आत्मग्लानि की गहरी चोटें हैं, वे तुम्हें अकेला महसूस कराती होंगी। लेकिन याद रखो, हर सुबह नई शुरुआत लेकर आती है। तुम्हारा दिल, चाहे कितना भी टूटा हो, फिर से प्रेम और शांति से भर सकता है। यह सफर आसान नहीं, लेकिन असंभव भी नहीं। चलो, गीता के अमृतवचन के साथ इस सफर की शुरुआत करते हैं।