अपने भीतर की आवाज़ को सुनना — शांति की पहली सीढ़ी
साधक, जब मन के भीतर अनगिनत विचारों का शोर होता है, तो अपनी सच्ची आवाज़ को सुनना एक चुनौती लगता है। यह ठीक वैसा है जैसे तूफानी समुंदर में किनारे की हल्की लहरों की आवाज़ को सुनना। पर याद रखो, तुम्हारे भीतर एक शांत महासागर है, जहां से तुम्हारी सच्ची आवाज़ आती है। आइए, हम गीता के प्रकाश में इस रहस्य को समझें।